बिलासपुर। स्टेट बार कौंसिल द्वारा महाधिवक्ता को जारी नोटिस को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है साथ ही कौंसिल को महाधिवक्ता के खिलाफ मिली शिकायत को बार कौंसिल ऑफ इंडिया में भेजने के आवेदन को भी खारिज कर दिया है।

महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ स्टेट बार कौंसिल में एक याचिकाकर्ता कुंदन सिंह नामक एक याचिकाकर्ता ने शिकायत की थी कि 1000 करोड़ रुपये के निःशक्त जन स्त्रोत संस्थान के घोटाले के लिये जिम्मेदार अधिकारियों को महाधिवक्ता ने बचाने की कोशिश की। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए महाधिवक्ता वर्मा को स्टेट बार कौंसिल के अध्यक्ष प्रभाकर चंदेल ने कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। महाधिवक्ता ने इसके विरुद्ध हाईकोर्ट में याचिका लगाई और कहा कि कौंसिल को उन्हें नोटिस जारी करने का अधिकार नहीं है। कौंसिल के एक्ट 12 (अ) के तहत यह नोटिस असंवैधानिक है। जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस पी.पी. साहू की बेंच में इस याचिका पर 29 जून को अंतिम सुनवाई हुई थी, जिसमें फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। आज पारित आदेश में कोर्ट ने वर्मा के खिलाफ स्टेट बार कौंसिल की याचिका को निरस्त कर दिया। इसके अलावा कुंदन सिंह के उस आवेदन को भी खारिज कर दिया है जिसमें जिसमें उन्होंने अपनी शिकायत कार्रवाई के लिये बार कौंसिल ऑफ इंडिया को भेजने की मांग की थी। महाधिवक्ता की ओर से मामले की पैरवी अधिवक्ता डॉ. निर्मल शुक्ला ने की।

 

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