बिलासपुर । कोरोना संक्रमण के चलते अदालतों में कामकाज बंद होने के कारण जूनियर अधिवक्ताओं के समक्ष पैदा हुए आर्थिक संकट से राहत दिलाने की मांग करते हुए दायर की गई याचिका पर आज हाईकोर्ट में वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ बार कौंसिल और राज्य शासन को नोटिस जारी कर इस बारे में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। इस सम्बन्ध में दायर अन्य हस्तक्षेप याचिकाओं की भी सुनवाई भी अगली तारीख में होगी।

कोरोना वायरस, कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिये किये गये लॉकडाउन के कारण प्रदेश की अदालतों में सामान्य कामकाज स्थगित कर दिया गया है। बीते 23 मार्च से सिर्फ अत्यावश्यक प्रकरणों की सुनवाई हाईकोर्ट व अधीनस्थ अदालतों में वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से की जा रही है। इसके कारण विधि व्यवसाय ठप हो गया है। जूनियर अधिवक्ताओं के समक्ष कोर्ट बंद होने के कारण आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। इसे देखते हुए  याचिकाकर्ता राजेश केशरवानी ने अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिस पर आज वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से जस्टिस प्रशांत मिश्रा व जस्टिस गौतम भादुड़ी की डबल बेंच में सुनवाई हुई। याचिका में ऐसे जूनियर अधिवक्ता जिनकी प्रैक्टिस सात वर्ष से कम हैं उन्हें राज्य विधिक परिषद् की ओर से आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की मांग की गई है। याचिका में बताया गया है कि अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा 6 में जरूरत के समय इस तरह की मदद करने का प्रावधान किया गया है। इस परिप्रेक्ष्य में कौंसिल को अधिवक्ताओं की सहायता के लिए आकस्मिक निधि बनानी चाहिये और उन्हें आर्थिक सहायता तथा ब्याज रहित ऋण भी उपलब्ध कराना चाहिए। उच्च न्यायालय से मांग की गई है कि राज्य अधिवक्ता परिषद् को वह निर्देश दे कि वह एक गाइडलाइन तैयार कर अधिवक्ताओं की मदद करे।

हाईकोर्ट में पंजीकृत क्लर्कों और फोटो कॉपी संचालकों की ओर से तथा छत्तीसगढ़ बार एसोसिसियेशन की ओर से भी आर्थिक सहायता के लिए इस याचिका के साथ हस्तक्षेप याचिका दायर की गई है। इन सभी याचिकाओं पर अगली तिथि पर एक साथ सुनवाई होगी।

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