बिलासपुर। शिक्षाकर्मियों की पदोन्नति को लेकर दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग, बिलासपुर के संयुक्त संचालक को शपथ-पत्र पेश करने तथा गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के जिला शिक्षा अधिकारी को 2 फरवरी तक जवाब पेश करने का आदेश दिया है।
स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन किये जाने की अधिसूचना का प्रकाशन जून 2018 में हुआ था। इसके अनुसार शिक्षाकर्मियों की सेवा 1 जुलाई 2018 की स्थिति में 8 वर्ष पूर्ण होने पर उनका शासकीय सेवक के रूप में संविलियन के योग्य होने का दिशा-निर्देश दिया गया।
याचिकाकर्ता सहायक शिक्षकों की प्रारंभिक नियुक्ति जून 2019 में हुई तथा इनकी ज्वाइनिंग 3 जुलाई 2018 की है। इस आधार पर इनकी सेवा के 8 वर्ष 2 जुलाई 2018 को पूर्ण हो चुका है। इनका संविलियन 2018 के बजाय 2019 में किया गया। सहायक शिक्षक से शिक्षक पद पर पदोन्नति के लिये छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षिक व प्रशासनिक संवर्ग) भर्ती व पदोन्नति नियम 2019 निर्धारित कर 5 वर्ष का शैक्षणिक अनुभव निर्धारित किया गया था। बाद में इस नियम में दिसंबर 2021 में संशोधन कर इन सहायक शिक्षकों के लिये शैक्षणिक अनुभव में शिथिलता देते हुए 3 वर्ष का अनुभव निर्धारित किया गया। संभागीय संयुक्त संचालक ने 13 दिसंबर 2021 को सहायक शिक्षक से शिक्षक पद पर पदोन्नति के लिये केवल उन सहायक शिक्षकों का 3 वर्षों की गोपनीय चरित्रावली मंगाई गई, जिनका संविलियन जुलाई 2018 में हो रहा था, जबकि गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के चार सहायक शिक्षकों की सेवाओं का संविलियन केवल दो दिनों की ज्वाइनिंग में देरी के कारण एक वर्ष वाद 2019 में किया गया।
इससे छुब्ध होकर चारों सहायक शिक्षकों ने संयुक्त संचालक के दिसंबर 2021 के पत्र को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट के अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी, नरेंद्र मेहर व घनश्याम कश्यप के माध्यम से याचिका दायर की थी। याचिका का आधार यह लिया गया कि जिन 3 वर्षों के शैक्षणिक अनुभव की गणना 2018 से की जा रही है, उसका कोई भी प्रावधान भर्ती व पदोन्नति नियम 2019 में वर्णित नहीं है। इन याचिकाकर्ता सहायक शिक्षकों की संपूर्ण शैक्षणिक सेवा अवधि 12 वर्ष हो चुकी है। छत्तीसगढ़ शिक्षत्रक पंचायत संवर्ग (सेवा की सामान्य शर्तें) निनयम 2018 में लिखा गया है कि जे ही सहायक शिक्षकों की सेवा 8 वर्ष पूरी होती है, वैसे ही उनका स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन हो जायेगा।
मंगलवार को जस्टिस संजय के. अग्रवाल की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए संयुक्त संचालक शिक्षा व गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के जिला शिक्षा अधिकारी को नोटिस जारी किया।