बिलासपुर। रेडी टू ईट का काम प्रदेश में महिला स्व-सहायता समूहों की जगह कृषि बीज विकास निगम को देने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान शासन ने आश्वस्त किया है कि 1 फरवरी 2022 से पहले किसी भी को भी काम से नहीं हटाया जायेगा।
याचिकाकर्ता मां संतोषी महिला स्व-सहायता समूह (सेल्फ हेल्प ग्रुप) व अन्य महिला बाल विकास विभाग के साथ हुए तीन वर्षों के अनुबंध के तहत रेडी-टू-ईट फूड का संचालन करता है, जो वर्तमान में जारी है। राज्य शासन ने 26 नवंबर को रेडी टू ईट यूनिट का संचालन 1 फरवरी 2022 से राज्य कृषि एवं बीज निगम को सौंपने का निर्णय लिया है। उक्त आदेश को अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी, अनादि शर्मा व राकेश पांडेय के माध्यम से दी गई चुनौती दी गई है, जिसकी सुनवाई जस्टिस पी. सैम कोशी की सिंगल बेंच में हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मतीन सिद्दिकी ने कहा कि भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये फैसले के अनुसार इंटिग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट स्कीम (आईसीडीएस) के तहत चल रहे रेडी टू ईट फूड बनाने व वितरण करने का काम किसी कांट्रेक्टर या तीसरे व्यक्ति को नहीं दिया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य तथा वैष्णोरानी महिला बचत समूह बनाम महाराष्ट्र शासन और अन्य में उल्लेख किया है कि आईसीडीएस के तहत चल रहे कार्यक्रमों में टेक होम राशन और रेडी टू ईट फूड बनाने का कार्य केवल महिलाओं के स्व-सहायता समूह, महिला मंडल व अन्य स्थानीय संस्थाओं द्वारा कराया जायेगा।
इस पर महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने शासन की ओर से अंडरटेकिंग देते हुए कोर्ट को बताया कि नया आदेश 1 फरवरी 2022 को लागू होगा, तब तक किसी भी स्व-सहायता समूह को हटाया नहीं जायेगा। उक्त आधारों पर कोर्ट ने राज्य शासन व भारत सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की सुनवाई 12 जवनरी 2022 को होगी।