बिलासपुर। सरगुजा के एक अनुदान प्राप्त स्कूल में कार्यरत अपर डिवीजन शिक्षक की पदोन्नति का प्रस्ताव निरस्त करने के मामले में हाईकोर्ट ने राज्य शासन और स्कूल प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।

शिक्षक देव कुमार गुप्ता 22 वर्षों से संबंधित संस्था में कार्यरत हैं। याचिका में बताया गया है कि उन्हें आपसी रंजिश के कारण पहले से पदोन्नति और अन्य लाभों की प्राप्ति के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। इस पक्षपात को लेकर उन्होंने प्रशासन और शिक्षा विभाग से मदद की गुहार लगाई थी। तब शासन ने गुप्ता के पक्ष में निर्णय दिया। इसके बाद डीपीसी ने उनका नाम लेक्चरर पद के लिए प्रस्तावित किया, पर स्कूल प्रबंधक ने उन्हें नए पद पर जॉइनिंग नहीं कराई। लोक शिक्षण संचालनालय ने इस बात की जांच करने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी को भेजा। प्रिंसिपल ने अपने बचाव में कहा कि स्कूल में बायोलॉजी लेक्चर का कोई पद नहीं है, इसलिए उनकी पदोन्नति रोकने का निर्णय लिया गया। प्राचार्य के जवाब के बाद शासन ने अपने पदोन्नति के प्रस्ताव को वापस ले लिया।

इससे व्यथित गुप्ता ने अपने अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और अनादि शर्मा के जरिए हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की। इसकी सुनवाई जस्टिस संजय के अग्रवाल की एकल पीठ में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि जिस संस्थान में वह कार्यरत है वहां विषयवार सेटअप नहीं है। दस्तावेजों से साफ है कि इस बारे में जानकारी सभी विभागों को पहले से थी। इसी पहलू पर विचार करते हुए उसकी पदोन्नति का प्रस्ताव समय-समय पर जारी किया गया था। याचिकाकर्ता गुप्ता ने पदोन्नति का प्रस्ताव रोकने के आदेश के खिलाफ अंतरिम राहत मांगी। कोर्ट ने इस पर अलग से नोटिस जारी कर स्कूल शिक्षा सचिव, लोक शिक्षण संचालक और स्कूल प्रबंधन से जवाब मांगा है, जिसके बाद आगे की सुनवाई की जाएगी।

 

 

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