बिलासपुर। कोरबा निवासी युवक तौसीफ मेमन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि उसकी पत्नी को उसके पिता ने जबरन घर में कैद कर रखा है और पुलिस भी मदद नहीं कर रही। युवक का कहना है कि दोनों बालिग हैं और उन्होंने 23 अप्रैल 2025 को मुस्लिम रीति-रिवाज से विवाह किया है, जिसकी पंजीकरण भी करवाया गया है। उसने शादी का प्रमाणपत्र कोर्ट में पेश किया।

युवक की ओर से बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की गई, जिस पर गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की खंडपीठ ने प्रारंभिक सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि युवक को अपनी पत्नी की इच्छा जानने का पूरा अधिकार है। इसके लिए कोर्ट ने याचिकाकर्ता को 27 मई 2025 तक कोर्ट की रजिस्ट्री में 1 लाख रुपए जमा करने का निर्देश दिया है।

सरकार ने शादी को बताया विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत ही मान्य
राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि युवक और युवती अलग-अलग धर्मों से संबंध रखते हैं, इसलिए यह शादी मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत वैध नहीं मानी जा सकती। ऐसे मामलों में विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत रजिस्ट्रेशन जरूरी होता है।

हालांकि कोर्ट ने कहा कि फिलहाल मामला युवती की इच्छा जानने से जुड़ा है, इसलिए यह जरूरी है कि उसे अदालत में पेश किया जाए।

पिता को बेटी के साथ कोर्ट में हाजिर होने का आदेश
कोर्ट ने युवती के पिता को निर्देश दिया है कि 10 जून 2025 को अगली सुनवाई में वह बेटी को लेकर कोर्ट में उपस्थित हों। साथ ही कोरबा के पुलिस अधीक्षक को आदेश दिया गया है कि वे यह सूचना युवती और उसके पिता तक पहुंचाएं।

अगर याचिकाकर्ता तय समय तक एक लाख रुपए जमा नहीं करता, तो उसकी याचिका स्वतः खारिज कर दी जाएगी।

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