आरएसएस प्रमुख ने किया स्व. काशीनाथ गोरे पर केंद्रित स्मारिका का विमोचन, स्पीकर डॉ. रमन सिंह भी शामिल हुए
बिलासपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने शनिवार को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में अपने प्रवास के दौरान समाज में एकता, समरसता और धर्म की सही व्याख्या पर जोर दिया। बिलासपुर के सिम्स ऑडिटोरियम में आयोजित ‘लोकहितकारी काशीनाथ स्मारिका विमोचन समारोह’ में उन्होंने स्व. काशीनाथ गोरे की स्मृति में तैयार स्मारिका और डॉ. प्रफुल्ल शर्मा की पुस्तक का लोकार्पण किया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
काशीनाथ गोरे को श्रद्धांजलि
मोहन भागवत ने अपने संबोधन में स्व. काशीनाथ गोरे को एक समर्पित स्वयंसेवक के रूप में याद किया। उन्होंने कहा कि काशीनाथ जी का जीवन समाज सेवा और संगठन के प्रति पूर्ण समर्पण का प्रतीक था। उनकी स्मृति में तैयार स्मारिका को उन्होंने समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया। भागवत ने कहा, “ऐसे स्वयंसेवकों की मेहनत और त्याग ने ही आरएसएस को आज इतना मजबूत बनाया है।” भागवत ने कहा कि आरएसएस के बारे में कई चर्चाएं हैं कि उसने 100 वर्ष पूरे कर लिए हैं। संघ बड़ा भी हो गया है. समाज की भी उसमें आस्था है। इसलिए कई तरह की चर्चाएं होती हैं। लेकिन संघ के इस स्तर तक पहुंचने का कारण क्या है? कारण यह है कि जिन्होंने संघ का विस्तार किया है, वे संघ के स्वयंसेवक हैं और वे हर परिस्थिति में इसका विस्तार करते रहेंगे। यह उनकी प्रतिबद्धता है. इसलिए तमाम बाधाओं के बावजूद, प्रतिकूलताओं के बावजूद, स्वयंसेवकों ने संघ का विस्तार किया।
धर्म का अर्थ: एकता और समरसता
डॉ. भागवत ने अपने संबोधन में धर्म की नई व्याख्या प्रस्तुत की। उन्होंने कहा, “धर्म का मतलब केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि समाज को एक परिवार की तरह जोड़ना और सभी विविधताओं को सामंजस्य के साथ आगे बढ़ाना है।” उन्होंने हिंदू समाज से अपील की कि वे अपने आचरण से विश्व के सामने एकता और भाईचारे का उदाहरण पेश करें। भागवत ने यह भी कहा कि समाज की प्रगति तभी संभव है, जब हम अपने पूर्वजों के मूल्यों को समझें और उनका सम्मान करें।
आरएसएस का शताब्दी वर्ष और स्वयंसेवकों की भूमिका
इस दौरे का महत्व इसलिए भी बढ़ गया, क्योंकि यह आरएसएस के शताब्दी वर्ष की तैयारियों के बीच हुआ। भागवत ने कहा कि संगठन की शक्ति इसके स्वयंसेवकों में निहित है, जिन्होंने 100 वर्षों की तपस्या से इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई। उन्होंने स्वयंसेवकों से आह्वान किया कि वे समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए और अधिक सक्रियता से काम करें। भागवत ने युवाओं से अपील की कि वे समाज सेवा के कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें और देश के विकास में योगदान दें।
छत्तीसगढ़ में राजनीतिक हलचल
मोहन भागवत के इस दौरे ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में भी हलचल पैदा की। विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह की उपस्थिति ने इस आयोजन को और महत्वपूर्ण बना दिया। प्रवास के दौरान भागवत ने कुछ स्थानीय नेताओं और स्वयंसेवकों के साथ अनौपचारिक चर्चा भी की, जिसमें संगठन की भावी योजनाओं पर विचार-विमर्श हुआ।
समारोह में स्वयंसेवक व नागरिक शामिल हुए
सिम्स ऑडिटोरियम में आयोजित इस समारोह में बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों और स्थानीय नागरिकों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। कार्यक्रम के अंत में डॉ. प्रफुल्ल शर्मा ने अपनी पुस्तक के लिए सरसंघचालक का आभार व्यक्त किया और कहा कि यह उनके लिए गर्व का क्षण है।