बिलासपुर। बिलासा देवी केंवट एयरपोर्ट के विस्तार को लेकर हाईकोर्ट की पहल का बड़ा असर देखने को मिला है। रक्षा मंत्रालय ने 290 एकड़ जमीन की कीमत 71 करोड़ से घटाकर 46 करोड़ रुपए कर दी है। अब राज्य सरकार द्वारा 40 करोड़ रुपए जमा करने पर यह जमीन एयरपोर्ट विस्तार के लिए राज्य को सौंप दी जाएगी।
रक्षा मंत्रालय और राज्य सरकार के बीच बनी सहमति
सोमवार को हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बी. डी. गुरु की खंडपीठ में बिलासपुर एयरपोर्ट विस्तार से जुड़ी दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई।
रक्षा मंत्रालय की ओर से दाखिल शपथ पत्र में बताया गया कि हाईकोर्ट के निर्देश पर 9 सितंबर को हुई बैठक में रक्षा सचिव और छत्तीसगढ़ सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक में रक्षा मंत्रालय ने राज्य सरकार की मांग को स्वीकार करते हुए 71 करोड़ की जगह 46 करोड़ रुपए में जमीन देने का निर्णय लिया।
राज्य सरकार ने नाइट लैंडिंग की तैयारी बताई, हाईकोर्ट ने मांगा स्पष्ट जवाब
राज्य के मुख्य सचिव विकासशील की ओर से दाखिल शपथ पत्र में बताया गया कि एयरपोर्ट पर नाइट लैंडिंग के लिए आवश्यक DVOR मशीन स्थापित कर दी गई है और इसका निरीक्षण एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा कर लिया गया है।
हालांकि, याचिकाकर्ता पक्ष के अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव और सुदीप श्रीवास्तव ने दलील दी कि नाइट लैंडिंग के लाइसेंस हेतु DGCA निरीक्षण और आवेदन प्रक्रिया अब भी लंबित है, जिस पर मुख्य सचिव के शपथ पत्र में कोई जानकारी नहीं दी गई है।
एलायंस एयर की उड़ानें घटाने पर कोर्ट ने मांगा जवाब
याचिकाकर्ताओं ने यह भी बताया कि एलायंस एयर ने 26 अक्टूबर से सप्ताह में तीन दिन उड़ानें बंद करने का फैसला एकतरफा लिया है। पहले जहां बिलासपुर से दिल्ली की उड़ान सप्ताह में छह दिन होती थी, अब इसे केवल तीन दिन कर दिया गया है।
अधिवक्ताओं ने कहा कि यह फैसला उस आश्वासन के खिलाफ है जो 13 फरवरी 2024 को हाईकोर्ट में एलायंस एयर की ओर से दिया गया था कि उड़ानें नियमित रूप से जारी रहेंगी। साथ ही यह भी बताया गया कि मौजूदा उड़ानें राज्य सरकार की सब्सिडी से संचालित हो रही हैं, इसलिए राज्य को जानकारी दिए बिना उड़ानें घटाना अनुचित है।
अगली सुनवाई 7 नवंबर को
पूरी बहस सुनने के बाद खंडपीठ ने राज्य के मुख्य सचिव और एलायंस एयर दोनों को नाइट लैंडिंग और उड़ान संचालन से संबंधित स्पष्ट शपथ पत्र दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई अब 7 नवंबर को होगी।