रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 2023 के उस आईईडी ब्लास्ट मामले में आरोपी स्कूल हेडमास्टर धनस राम ध्रुव की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें आईटीबीपी के एक जवान की मौत हो गई थी। अदालत ने कहा कि इस मामले में आरोप बेहद गंभीर हैं और इन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता।
यह घटना 17 नवंबर 2023 को गरियाबंद जिले के बड़े गोबरा गांव में हुई थी, जहां चुनाव ड्यूटी से लौट रहे इंडो तिब्बत बटालियन के जवानों पर आईईडी ब्लास्ट किया गया था। मामले में गरियाबंद जिले के ही सेमहरा गांव के रहने वाले ध्रुव, जिन्हें ‘गुरुजी’ के नाम से भी जाना जाता है, पर भारतीय दंड संहिता के कई प्रावधानों के साथ-साथ यूएपीए, आर्म्स एक्ट और एक्सप्लोसिव सब्सटेंस एक्ट के तहत आरोप लगाए गए हैं।
एनआईए की ओर से पेश अभियोजन पक्ष ने अदालत में दलील दी कि जांच में मिले साक्ष्य ध्रुव की नक्सली गतिविधियों में सक्रिय भूमिका की ओर इशारा करते हैं। एनआईए का कहना है कि उन्होंने नक्सलियों को वित्तीय और लॉजिस्टिक मदद दी और कई साजिश बैठकों में शामिल रहे। जांच के दौरान आठ गवाहों ने मजिस्ट्रेट के सामने धारा 164 के तहत बयान भी दिए हैं, जिनमें उनके नक्सली नेताओं से संबंधों का जिक्र है।
ध्रुव की ओर से वकील जितेंद्र शुक्ला ने कहा कि उनके मुवक्किल को झूठे आरोपों में फंसाया गया है और उनके घर से किसी तरह का आपत्तिजनक सामान नहीं मिला। केवल कोविड-19 से संबंधित एक पुस्तिका और पंपलेट ही बरामद हुआ था। उन्होंने यह भी दलील दी कि ध्रुव परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य हैं और घटना के लगभग एक साल बाद उनकी गिरफ्तारी हुई है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने कहा कि जब किसी आरोपी पर राज्य के खिलाफ गंभीर अपराधों का आरोप हो और वह विशेष कानूनों के तहत हो, तो जमानत आमतौर पर नहीं दी जाती। अदालत ने माना कि अभियोजन पक्ष ने पर्याप्त साक्ष्य पेश किए हैं, जिससे प्रथम दृष्टया यह साबित होता है कि आरोपी बड़ी साजिश का हिस्सा रहे हैं।
हाईकोर्ट ने विशेष सत्र अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी और निचली अदालत को निर्देश दिया कि इस मामले की सुनवाई छह महीने के भीतर पूरी करने की कोशिश की जाए। साथ ही आरोपी को भी ट्रायल में सहयोग करने के लिए कहा गया है।













