ग्रामीणों की संवेदनशीलता और विभागीय प्रयास से बची दुर्लभ प्रजाति
कोरबा। छत्तीसगढ़ के जैव विविधता समृद्ध कोरबा जिले में एक दुर्लभ मादा एशियन पाम सिवेट (कस्तूरी बिलाव) और उसके पांच बच्चों को सुरक्षित रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ा गया। यह कार्य कटघोरा वनमंडल और नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी की संयुक्त टीम द्वारा ग्रामीणों के सहयोग से संपन्न हुआ।
घटना बुधवार की रात हरदी बाजार क्षेत्र के मुंडाली गांव में सामने आई, जब ग्रामीण केशव जैसवाल के घर की धान की कोठी में कस्तूरी बिलाव अपने बच्चों के साथ दिखाई दी। इस असामान्य दृश्य से ग्रामीणों में पहले डर था, लेकिन उन्होंने संवेदनशीलता और करुणा का परिचय देते हुए तुरंत वन विभाग को सूचना दी।
DFO के निर्देशन में चला रेस्क्यू अभियान
इस ऑपरेशन को वनमंडलाधिकारी कुमार निशांत के निर्देश और उपवनमंडलाधिकारी चंद्रकांत के मार्गदर्शन में अंजाम दिया गया।
नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष एम. सूरज के नेतृत्व में जितेन्द्र सारथी, मयंक बागची, बबलू मारुवा, रेंजर अशोक मान्यवर, डिप्टी सुखदेव सिंह मरकाम, महेंद्र देवेंगन सहित कई अधिकारी मौके पर पहुंचे।
पूरी टीम ने सावधानी और मानवीय दृष्टिकोण से काम लेते हुए मादा सिवेट और उसके बच्चों को बिना किसी तनाव या चोट के सुरक्षित रेस्क्यू किया।
प्राकृतिक आवास में मिला नया जीवन
रेस्क्यू के बाद सिवेट मां और उसके पांचों बच्चों को एक सुरक्षित वन क्षेत्र में प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया गया, जिससे वे स्वतंत्र रूप से जीवन यापन कर सकें।
यह सफल अभियान न केवल एक दुर्लभ प्रजाति को बचाने का कार्य है, बल्कि यह प्रशासन, विशेषज्ञ संस्थाओं और समुदाय के संयुक्त प्रयास से जैव विविधता संरक्षण का उदाहरण भी बन गया है।