17 सूत्रीय मांगों पर ठोस निर्णय लेने की मांग 

कोरबा। हरदीबाजार गांव में शनिवार को एसईसीएल दीपका प्रबंधन और प्रशासन की बैठक उस  वक्त हंगामे में बदल गई जब ग्रामीणों और पंचायत प्रतिनिधियों ने बैठक का एकजुट होकर बहिष्कार कर दिया। ग्रामीणों ने कहा कि जब तक उनकी 17 सूत्रीय मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लिया जाएगा, वे किसी भी सर्वे या अधिग्रहण प्रक्रिया को मंजूरी नहीं देंगे।

यह बैठक ग्राम पंचायत भवन हरदीबाजार में आयोजित की गई थी, जिसमें गांव की परिसंपत्तियों की नाप-जोख और भूमि अधिग्रहण से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होनी थी। बैठक में मौजूद एसईसीएल के अधिकारी सुशील साहू और तहसीलदार विष्णु प्रसाद पैंकरा को ग्रामीणों ने साफ शब्दों में कहा कि उनकी पुरानी मांगें अब तक अधूरी हैं और बार-बार सिर्फ आश्वासन ही मिल रहे हैं।

ग्रामीणों की प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:

  • 2004 में अधिग्रहित जमीन का मुआवजा वर्तमान दर पर दिया जाए
  • बसाहट स्थल में सभी सुविधाएं दी जाएं
  • जो लोग बसाहट नहीं चाहते, उन्हें ₹15 लाख एकमुश्त मुआवजा मिले
  • मकान के बदले पूरा मुआवजा दिया जाए और आधी राशि मकान तोड़ने से पहले मिले
  • 2004 और 2010 के बाद खरीदी गई जमीन को भी पूरी तरह मान्यता मिले
  • मकान मुआवजा में कोई कटौती न की जाए
  • नौकरी देने में लगातार हो रही कटौती पर स्थिति स्पष्ट की जाए

ग्रामीणों ने कलिंगा कंपनी को लेकर भी गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह कंपनी गांव में घुसी, सर्वे किया या किसी तरह का दबाव बनाने की कोशिश की, तो वे जोरदार विरोध करेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि इससे पहले भी कलिंगा कंपनी के खिलाफ मारपीट और पैसे मांगने जैसे मामलों की शिकायतें हो चुकी हैं, जिसकी जांच अभी जारी है।

बैठक अधूरी, ग्रामीणों के तेवर सख्त
बैठक के दौरान जब एसईसीएल अधिकारियों ने कहा कि 2004 और 2010 के बाद की जमीनें मान्य नहीं होंगी, तो ग्रामीण गुस्से में आ गए और बैठक से बाहर निकल गए। कुछ लोगों ने अपनी बात रखने की कोशिश जरूर की, लेकिन माहौल शांत नहीं हो पाया और बैठक अधूरी ही रह गई।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here