कोटा के पटैता गांव स्थित कौरीपारा में टीकाकरण के बाद दो शिशुओं की मौत के मामले ने पूरे प्रदेश में हलचल मचा दी है। सोमवार को रायपुर से जांच के लिए पहुंचे अधिकारियों की टीम को ग्रामीणों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। जैसे ही टीम ने प्रारंभिक जानकारी जुटानी शुरू की, वैसे ही बड़ी संख्या में ग्रामीण एकत्रित हो गए और गुस्से में आकर अधिकारियों को घेर लिया।

टीम में शामिल अधिकारी, ग्रामीणों के आक्रोश से घबराकर वापस लौटने लगे। ग्रामीणों ने गाड़ी को घेर लिया, लेकिन किसी तरह टीम वहां से निकलने में सफल रही। कोटा क्षेत्र के पटैता स्थित कौरीपारा में 30 अगस्त को टीकाकरण के बाद दो शिशुओं की मौत के इस मामले में राज्य सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं।

ग्रामीणों का गुस्सा और सवाल

राज्य की 5 सदस्यीय टीम ने जैसे ही मौके पर पहुंचकर परिजनों से बातचीत शुरू की, ग्रामीणों का आक्रोश फूट पड़ा। उन्होंने पूछा, “जब हमारे बच्चे मर गए, तो अब क्या करने आए हो?” परिजनों और ग्रामीणों ने टीकाकरण के समय शिशुओं के स्वस्थ होने की बात कही और बार-बार एक ही सवाल पूछने पर नाराजगी जताई।

ग्रामीणों का कहना था कि शिशु टीका लगने से पहले पूरी तरह स्वस्थ थे, लेकिन टीकाकरण के बाद उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। इस स्थिति से परेशान होकर ग्रामीणों ने टीम से किसी भी तरह की जानकारी देने से इनकार कर दिया और अधिकारियों से गांव छोड़ने की मांग की।

उच्च स्तरीय जांच दल का दौरा

जांच दल में राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र अग्रवाल, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. निलय मजोरकर, एसआरटीएल डब्ल्यूएचओ रायपुर डॉ. प्रवीण फटाले, संयुक्त संचालक डॉ. जेपी आर्या और उप संचालक एवं राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ. बीआर भगत शामिल थे। इन सभी ने कोटा ब्लॉक के पटैता गांव का दौरा किया और परिजनों से बातचीत की।

स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई

स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों की मौत के बाद हरकत में आते हुए जांच के लिए टीम को भेजा। हालांकि, ग्रामीणों का गुस्सा और विरोध देखकर अधिकारियों को खाली हाथ लौटना पड़ा। इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग ने मंगलवार को शिशुओं का टीकाकरण अस्थायी रूप से बंद करने का निर्णय लिया है।

असमंजस में प्रशासन

इस मामले में जांच जारी है, और राज्य सरकार ने जांच रिपोर्ट के आधार पर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। ग्रामीणों के विरोध और अधिकारियों के असमंजस ने इस घटना को और भी संवेदनशील बना दिया है।

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