पहले व्यापारी औने-पौने खरीद लेते थे लाख, अब आदिवासी महिलाएं अपना प्रोसेसिंग यूनिट बनाने की तैयारी में
बिलासपुर । देवसेना महिला समूह मरवाही द्वारा निर्मित चूड़ियों की बिक्री 36 मॉल बिहान बाजार में होने लगी है और इसे लोग पसंद भी कर रहे हैं। ग्राहक चूड़ियों के तरह-तरह के डिजाइन के लिए सुझाव भी दे रहे हैं। इससे इन महिलाओं का उत्साहवर्धन हो रहा है। अब वे लोगों की पसंद के अनुसार आधुनिक डिजाईन की चूड़ियां बनाने के लिये प्रशिक्षण लेने की योजना बना रही हैं। इस उपलब्धि से ग्रामीण महिलाओं की आमदनी के साथ-साथ उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा है।
मरवाही की आदिवासी महिलायें लाख की चूड़ी बनाने में निपुण हो गई हैं और वे प्रतिदिन 300 रुपये तक की आमदनी वे घर बैठे प्राप्त कर रही हैं। बंशीताल, दानीकुंडी, बरगवां, बघर्रा की महिलायें स्व-सहायता समूहों के माध्यम से विभिन्न व्यवसाय अपनाकर अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूती प्रदान कर रही हैं। मरवाही क्षेत्र में रंगीन लाख बहुत मात्रा में होता है। व्यापारियों द्वारा इसे सस्ते में खरीदकर महंगे दामों में बाहर बेचा जाता है। क्षेत्र में पहली बार लाख का मूल्य वर्धित कर इसे लघु व्यवसाय के रूप में स्थापित कर ग्रामीण आदिवासी महिलाओं द्वारा अतिरिक्त आय प्राप्त करने का कार्य किया जा रहा है।
मरवाही के विभिन्न ग्रामों की महिलायें देवसेना स्व-सहायता समूह के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर आत्मनिर्भरता प्राप्त कर रही हैं। इसी समूह की महिलाओं ने लाख चूड़ी एवं गहना निर्माण का व्यवसाय प्रारंभ किया है। इसके लिये वनमंडल मरवाही द्वारा ईएसआईपी परियोजना अंतर्गत उन्हें प्रशिक्षण दिया गया है। ग्राम बरगवां की रेणु, सियावती, जयकुमारी, दानीकुंडी की नीता बाई कोरवा, केशकली श्याम, कृष्ण कुमारी पाव, सियावती आदि महिलायें इस कार्य में जुटी हुई हैं। वे 10 मिनट में बिना नग वाले लाख की चूड़ी सेट और डेढ़ घंटे में नग वाली चूड़ी सेट तैयार कर लेती हैं। चूड़ी बनाने के लिये लाख उन्हें व्यापारी से खरीदना पड़ रहा है लेकिन समूह की महिलाओं की योजना है कि वे खुद ही गांव के लोगों से लाख खरीदेंगी और उसकी प्रोसेसिंग भी करेंगी। इससे उन्हें ज्यादा फायदा मिलेगा और बिचैलियों से भी मुक्ति मिलेगी। महिलाओं ने बताया कि महिला बाल विकास विभाग की सुपरवाईजर सृष्टि वर्मा के मार्गदर्शन में वे यह व्यवसाय अपनाने के लिये प्रेरित हुई हैं।