बिलासपुर। अरपा नदी के उद्गम स्थल को संरक्षित करने और इसके विकास के लिए राज्य सरकार ने 7.88 करोड़ रुपये की प्रशासनिक और वित्तीय मंजूरी प्रदान की है। जीपीएम जिले के कलेक्टर ने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसके तहत कुल 18 महीने में अधिग्रहण कार्य पूरा किया जाएगा। इसके बाद, अगले माह में निर्माण कार्य के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
भूमि अधिग्रहण और निर्माण कार्य का खाका
- भू-अर्जन कार्य: ₹5.63 करोड़
- जल कुंड निर्माण: ₹1.46 करोड़
- रिटेनिंग और बाउंड्री वॉल: ₹1.14 करोड़
- शेड निर्माण: ₹2.07 करोड़
- एडमिन ब्लॉक निर्माण: ₹7 लाख
- विकास कार्य: ₹47 लाख
अरपा के उद्गम स्थल पर जल कुंड और एक छोटे डेम का निर्माण होगा। इन परियोजनाओं से न केवल नदी का संरक्षण होगा बल्कि इसके जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने में भी मदद मिलेगी।
कोर्ट और विशेषज्ञ कमेटी का योगदान
पिछले 5-6 वर्षों से अरपा नदी के सुधार के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। जनहित याचिकाओं के तहत हाईकोर्ट ने अब तक 33 सुनवाई की हैं और विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाई थी। इसमें बिलासपुर और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के अधिकारियों और न्याय मित्रों ने सुझाव दिए।
शहर में अरपा की स्थिति चिंताजनक
बिलासपुर शहर के बाद अरपा नदी की हालत गंभीर है। शहर के दोनों ओर से 70 से अधिक नालों का गंदा पानी सीधे नदी में छोड़ा जा रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने 2020 में आदेश दिए थे कि गंदा पानी नदियों में बहाने पर प्रति नाला ₹5 लाख का जुर्माना लगाया जाएगा। नगर निगम ने 17 किमी लंबे क्षेत्र में पानी की सफाई के लिए ₹207 करोड़ का डीपीआर बनाया था, लेकिन अब तक इस पर काम शुरू नहीं हुआ है।
भूजल दोहन पर रोक जरूरी
नदी किनारे वन भूमि पर खेती और बड़े पैमाने पर बोरवेल के इस्तेमाल से अरपा का जलस्रोत सूख रहा है। करीब 200 बोरवेल लगाए गए हैं, जो नदी के भूजल को खत्म कर रहे हैं। कोर्ट ने नदी के जलस्रोत को बचाने और बोरवेल बंद करने की सिफारिश की है।
Blive opinion
जल संरक्षण के प्रयास अनिवार्य
अरपा नदी छत्तीसगढ़ के लिए जीवनदायिनी है। इसे बचाने और इसके जल स्रोतों को सुरक्षित करने के लिए जल्द और ठोस कदम उठाना जरूरी है।