रायपुर. छत्तीसगढ़ में जमीन अधिग्रहण और मुआवजे के मामलों में गड़बड़ियों की शिकायतों के बाद सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। मंगलवार को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में मंत्रालय (महानदी भवन) में हुई मंत्रीपरिषद की बैठक में नए नियमों को हरी झंडी दी गई। इन बदलावों का मकसद है कि किसानों को उनकी जमीन का सही और पारदर्शी मुआवजा मिले, ताकि रायपुर-विशाखापट्टनम भारतमाला परियोजना, बिलासपुर की अरपा-भैंसाझार परियोजना और रायगढ़ में एनटीपीसी के लिए अधिग्रहण के दौरान हुए मुआवजा घोटाले जैसे मामले दोबारा न हों।

नए नियमों का आसान मतलब

सरकार ने अब ग्रामीण इलाकों में कृषि जमीन की कीमत तय करने का तरीका बदल दिया है। पहले 500 वर्गमीटर तक की जमीन की अलग से कीमत लगाई जाती थी, जिससे भ्रष्टाचार की छूट अफसरों और दलालों को मिल गई थी। अब इसे खत्म कर पूरी जमीन की कीमत हेक्टेयर के हिसाब से तय होगी। साथ ही, जो जमीन खेती से गैर-खेती में बदली गई, उसकी कीमत को सिंचित जमीन के ढाई गुना करने का पुराना नियम भी हटा दिया गया है।

शहरों के आसपास के गाँवों और निवेश वाले इलाकों की जमीन की कीमत अब वर्गमीटर में तय होगी। इन नए नियमों से जमीन अधिग्रहण के झगड़े कम होंगे और किसानों को उनके हक का पैसा आसानी से मिलेगा। मुख्यमंत्री साय ने कहा, “यह किसानों के लिए ऐतिहासिक फैसला है। इससे न सिर्फ किसानों को इंसाफ मिलेगा, बल्कि छत्तीसगढ़ की विकास योजनाएँ भी तेजी से आगे बढ़ेंगी।”

मुआवजा घोटालों पर सख्ती

छत्तीसगढ़ में कई बड़ी परियोजनाओं में मुआवजा वितरण में गड़बड़ियां सामने आई हैं। रायपुर-विशाखापट्टनम भारतमाला परियोजना और बिलासपुर की अरपा-भैंसाझार परियोजना में मुआवजा देने में अनियमितताएँ पाई गईं। इन मामलों में कुछ राजस्व अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) फंसे हैं। कई आरोपियों को जेल भेजा गया है, जबकि कुछ की जमानत अर्जियाँ कोर्ट ने खारिज कर दी हैं। रायगढ़ में एनटीपीसी की परियोजना में भी मुआवजा घोटाले की शिकायतें मिली थीं, जिसमें फर्जी दस्तावेजों और गलत मूल्यांकन के जरिए लाखों रुपये की हेराफेरी की गई।

इन सबके बाद सरकार ने जमीन की कीमत तय करने की प्रक्रिया को और साफ-सुथरा करने का फैसला लिया। नए नियमों से न सिर्फ ऐसी गड़बड़ियों पर लगाम लगेगी, बल्कि किसानों को समय पर और सही मुआवजा मिलने का रास्ता भी साफ होगा।

किसानों को क्या फायदा?

नए नियमों से सबसे ज्यादा फायदा उन किसानों को होगा, जिनकी जमीनें बड़ी परियोजनाओं के लिए अधिग्रहण की जा रही हैं। पहले गलत मूल्यांकन और अफसरों की मिलीभगत से कई किसानों को कम मुआवजा मिलता था, जिससे वे कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटते थे। अब हेक्टेयर आधारित गणना और पारदर्शी प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होगा कि किसानों को उनकी जमीन की पूरी कीमत मिले। साथ ही, विकास परियोजनाओं में देरी की समस्या भी कम होगी।

सरकार का दावा- किसानों को हक मिलेगा

मुख्यमंत्री साय ने कहा, “हमारी सरकार किसानों के हक की रक्षा के लिए वचनबद्ध है। पुराने नियमों में खामियाँ थीं, जिनका फायदा कुछ लोग उठा रहे थे। अब नई व्यवस्था से सब कुछ साफ और आसान होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार जल्द ही जमीन अधिग्रहण से जुड़े पुराने मामलों की जाँच पूरी कर दोषियों पर और सख्त कार्रवाई करेगी।

मुआवजे कलेक्टर की निगरानी में रहेंगे

नए नियम जल्द ही लागू हो जाएँगे, और सरकार ने इसके लिए जिला प्रशासन को दिशा-निर्देश जारी करने शुरू कर दिए हैं। भारतमाला और अरपा-भैंसाझार जैसी परियोजनाओं में मुआवजा वितरण की निगरानी अब और सख्त होगी। रायगढ़ में एनटीपीसी मामले की जाँच भी तेज कर दी गई है। कुल मिलाकर, सरकार का यह कदम छत्तीसगढ़ में जमीन अधिग्रहण को लेकर लंबे समय से चली आ रही समस्याओं का हल निकालने की कोशिश है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here