लेप्रोस्कोपिक पद्धति से किए जाने वाले ऑपरेशन ने नई अत्याधुनिक मशीनों के कारण अब ओपन सर्जरी से किए जाने वाले कई ऑपरेशनों की जगह ले ली है। इससे मरीजों को दर्द कम होता है और उन्हें अस्पताल में लम्बे समय तक रुकना नहीं पड़ता।

यह बात आज अपोलो अस्पताल बिलासपुर में आयोजित एक वर्कशॉप में मुम्बई के डॉ. प्रशांत भामरे, अपोलो अस्पताल की डॉ. रश्मि शर्मा व डॉ. अमित वर्मा ने लेप्रोस्कोपिक पद्धति से लाइव ऑपरेशन के साथ आयोजित वर्कशॉप में कही।

इस वर्कशॉप में नाइजीरिया फेडरल मेडिकल सेंटर के प्रमुख डॉ. बार्लोटम्यू ने भी दूरबीन पद्धति से ऑपरेशन कर उपस्थित चिकित्सकों को इसकी बारीकियां समझाई।

डॉ. भामरे ने कहा कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की नवीन तकनीकों में दूरबीन पद्धति का अपना एक अलग महत्व है। इस पद्धति में भी समय के साथ साथ और भी एडवांसमेंट के कारण दूरबीन पद्धति से सर्जरी ने कई प्रकरणों में ओपन पद्धति से सर्जरी को प्रतिस्थापित कर दिया है। पुरानी पद्धति में मरीज को लम्बे व बड़े चीरे की वजह से अधिक दर्द होता था। दूरबीन पद्धति ने अस्पताल में 5-7 दिनों तक रुकने व सर्जरी के बाद के निशानों की समस्या को पूरी तरह हटा दिया है।

दूरबीन पद्धति में केवल दो छोटे छिद्रों के माध्यम से तथा सर्जरी के स्थान को बड़े आवर्धित आकार में देखा जा सकता है। यह पद्धति पूर्ण रूप से सफल व सुरक्षित है तथा मरीज दूसरे ही दिन अस्पताल से डिस्चार्ज हो कर अपनी सामान्य दिनचर्या में लौट सकता है।

वर्कशॉप में पांच सर्जरी की गई तथा इससे संबंधित जानकारियों का लाभ एम्स रायपुर के 10 चिकित्सकों सहित कुल 45 चिकित्सकों ने लिया। डॉ. सृष्टि ने कार्यक्रम का संचालन किया।

 

 

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here