निधन से बिलासपुर में शोक, नेताओं, करीबियों ने उनकी कर्मठता, विद्वता, क्षमता को अद्भुत बताया
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पार्थिव देह कल सुबह 9 बजे सागौन बंगले से रवाना होकर 11 बजे मरवाही सदन में पहुंचेगी। यहां करीब 20 मिनट रुकने के बाद कोटा, रतनपुर, केंदा मार्ग होते हुए पैतृक ग्राम जोगीसार पहुंचेगी। यहां थोड़ी देर रुकने के बाद उनकी अंतिम यात्रा गौरेला के पैतृक निवास जोगी निवास पहुंचने के बाद सेनेटोरियम (मरवाही विधानसभा) में अंतिम संस्कार किया जायेगा। उनके निधन पर तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है। इस दौरान कोई भी शासकीय समारोह आयोजित नहीं किया जायेगा। शासकीय कार्यालयों के ध्वज भी शोक की घोषणा के बाद आधे झुका दिये गये।
जोगी परिवार के नजदीकी समीर अहमद ‘बबला’ ने बताया कि जोगी की अंतिम इच्छा के अनुरूप उनका अंतिम संस्कार मरवाही में ही किया जा रहा है। इस दौरान लॉकडाउन के नियमों का पालन किया जायेगा। हालांकि इस बात को देखते हुए कि मरवाही सदन और जोगीसार में भी उनके अंतिम दर्शन के लिये लोग पहुंच सकते हैं, प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था तैनात कर दी है।
जोगी के निधन की अधिकारिक खबर दोपहर 3.30 बजे नारायणा हॉस्पिटल के प्रबंधन द्वारा दी गई। दोपहर दो बजे से रायपुर के सागौन बंगले में जब पुलिस की तैनाती शुरू हो गई तभी से अंदाजा लगाया जा रहा था कि जोगी के स्वास्थ्य को लेकर कोई अप्रिय सूचना आ सकती है। आज सुबह उन्हें तीसरी बार कार्डियेक अरेस्ट आया था जिसके बाद उनकी हालत बेहद खराब हो गई। 9 मई को सागौन बंगले के लॉन में गंगा इमली खाते वक्त बीज के श्वास नली में अटक जाने के बाद जोगी को गंभीर अवस्था में नारायणा हॉस्पिटल में दाखिल कराया गया था। इसके बाद उन्हें वहां कार्डियेक अरेस्ट आया था। जोगी 9 मई से ही लगातार कोमा में चल रहे थे। उन्हें वेंटिलेटर के जरिये ऑक्सीजन दिया जा रहा था। इस दौरान डॉक्टर लगातार प्रयास कर रहे थे कि उनका ब्रेन सक्रिय हो। दो दिन पहले स्थिति तब ज्यादा बिगड़ गई जब उन्हें दूसरा कार्डियेक अरेस्ट आया। आज उनको तीसरी बार कार्डियेक अरेस्ट आया तो डॉक्टर उन्हें नहीं बचा पाये।
निधन के थोड़ी ही देर बाद जोगी के पुत्र अमित जोगी ने इसकी सूचना ट्विटर पर दी। उन्होंने कहा कि 20 वर्षीय युवा छत्तीसगढ़ के सिर से आज उसके पिता का साया उठ गया। केवल मैंने नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ ने नेता नहीं बल्कि अपना पिता खोया है। अजीत जोगी ढाई करोड़ लोगों के अपने परिवार को छोड़कर ईश्वर के पास चले गये।
जोगी के निधन की खबर से पूरे प्रदेश में शोक का वातावरण छा गया। उनके समर्थक, विरोधी, पक्ष प्रतिपक्ष, सभी उनकी विद्वता और प्रतिभा के कायल थे। राज्यपाल, मुख्यमंत्री सहित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित देश के अनेक नेताओं ने उनके निधन पर दुख जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
बिलासपुर उनका गृह जिला रहा है इस नाते यहां उनके करीबियों की संख्या बहुत है। उनके अनेक रिश्तेदार भी बिलासपुर में हैं। बिलासपुर में भी उनके निधन से शोक की लहर दौड़ गई। तमाम राजनैतिक दलों के नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया है।
सांसद अरूण साव ने कहा कि छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री,कुशल प्रशासक, कुशल राजनेता अजीत जोगी के निधन से स्तब्ध हूं। उनका निधन छत्तीसगढ़ के लिए अपूरणीय क्षति है। बिलासपुर विधायक शैलेष पांडे ने कहा कि वे कुशाग्र राजनीतिज्ञ, कर्मठ, अध्ययनशील और दुर्लभ व्यक्तित्व के धनी थे। उनकी क्रियाशील जीवनयात्रा समाप्त होने का संदेश जानकर गहरा दुःख हुआ। मेरे प्रति उनका अपार स्नेह आशीर्वाद हमेशा रहा, उसके लिए हमेशा ऋणी रहूंगा। विधायक पांडेय ने जोगी के निधन के शोक और कोरोना संकट के कारण कल 30 मई को अपना जन्मदिन नहीं मनाने का निर्णय लिया है। प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष अटल श्रीवास्तव ने कहा कि वे व्यक्ति नहीं संस्था थे। जीवट, कर्मठ, समय के पाबंद जोगी हमेशा चुनौतियों का सामना करने वाले कर्मयोगी थे। छत्तीसगढ़ को लेकर उनके अपने सपने थे। वे अमीर धरती के गरीब लोगों के उत्थान के लिए काम करना चाहते थे। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अभय नारायण राय ने भी जोगी के व्यक्तित्व को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
वेदना की इस घड़ी में मैं निशब्द हूँ।परम पिता परमेश्वर माननीय @ajitjogi_cg जी की आत्मा को शांति और हम सबको शक्ति दे।
उनका अंतिम संस्कार उनकी जन्मभूमि गौरेला में कल होगा। pic.twitter.com/TEtAqsEFl4
— Amit Jogi (@amitjogi) May 29, 2020
पूर्व मंत्री व भाजपा नेता अमर अग्रवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ ने आज अपने लोकप्रिय और कद्दावर नेता, श्रेष्ठ प्रशासक एवं उच्च कोटि के विद्वान को खो दिया। राजनीति में आने के पहले आईएएस और आईपीएस के लिए चुने गए थे।वे विधायक और सांसद भी चुने गए । वे छत्तीसगढ और छत्तीसगढ़िया के हितों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहे। गांव-गरीब किसानों के वे दुलारे नेता थे। बिलासपुर उनका गृह जिला रहा है। बिलासपुर के विकास को लेकर विशेषकर लालायित रहते थे।