बिलासपुर. 2018 मार्च में हुए राज्य सभा चुनाव के समय भाजपा की सरोज पाण्डेय ने लेखराम साहू को हराया था। इसके खिलाफ साहू ने उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका प्रस्तुत कर इस निर्वाचन को चुनौती दी थी। यह चुनौती सरोज पाण्डेय के द्वारा शपथ पत्र में गलत और अधूरी जानकारी देने के अलावा 18 भाजपा विधायको के लाभ के पद पर होने के बावजूद उन्हें प्रस्तावक समर्थक के रूप में स्वीकार करने और उन्हें मतदान की अनुमति दिये जाने को असवैधानिक बताते हुये दी गई है।

गत 8 जून को हुई सुनवाई के दौरान साहू के अधिवक्ता ने हाईकोर्ट के जस्टिस संजय के अग्रवाल की पीठ को बताया था कि उनके द्वारा गवाहों की सूची पहले ही प्रस्तुत कर दी गई है परंतु सरोज पाण्डेय की ओर से विलंब करने के लिये सूची प्रस्तुत नहीं की गई है। इस पर हाईकोर्ट ने आदेश पारित करते हुये कहा था कि जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 86(7) के तहत चुनाव याचिकाओं का निराकरण छः माह में किया जाना आवश्यक है और यह याचिका दो साल से अधिक समय से लंबित है अतः इसमें विलंब नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने सरोज पाण्डेय के अधिवक्ता को गवाहों की सूची प्रस्तुत करने के निर्देश दिये थे।

आज हुई सुनवाई के दौरान सरोज पाण्डेय के अधिवक्ता के द्वारा अपनी ओर से गवाहों की सूची प्रस्तुत की गई है जबकि लेखराम साहू की ओर से यह सूची पूर्व में ही प्रस्तुत की जा चुकी है। आज सुनवाई के दौरान प्रकरण में आगे कार्यवाही की तिथियां नियत करने के लिये शुक्रवार 18 जून सुनवाई की तिथि तय की गई है। लेखराम साहू की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और हिमांशु शर्मा वही सरोज पाण्डेय की ओर से अधिवक्ता अविनाश चन्द्र साहू सुनवाई में उपस्थित थे।

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