​बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने हाल में हुई कथित माओवादी मुठभेड़ को फर्जी बताने वाली याचिका पर गंभीर रुख अपनाया है। अदालत ने राज्य सरकार को तीन दिन के भीतर पूरी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि मुठभेड़ में मारे गए व्यक्तियों का आपराधिक रिकॉर्ड, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, वीडियोग्राफी और मौत के बाद उठाए गए सभी कानूनी व प्रशासनिक कदमों की जानकारी अगली सुनवाई से पहले दी जाए।

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विभु दत्त गुरु की खंडपीठ ने सोमवार कोयह आदेश दिया। मामला रायगढ़ निवासी राजा चंद्रा की याचिका से जुड़ा है। उन्होंने दावा किया है कि उनके पिता कथा रामचंद्र रेड्डी उर्फ कट्टा रामचंद्र रेड्डी और उनके मित्र कदरी सत्यनारायण रेड्डी उर्फ कोसा दादा को पुलिस ने हिरासत में लेकर हत्या कर दी और बाद में उसे मुठभेड़ का रूप दे दिया गया।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि तथ्यों की गहन जांच जरूरी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी निर्दोष की मौत न हुई हो।

राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ताओं ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मारे गए दोनों व्यक्ति माओवादी संगठन के सक्रिय सदस्य थे। उनके खिलाफ छत्तीसगढ़, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश सहित कई राज्यों में गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे। उन्होंने बताया कि मुठभेड़ वास्तविक थी, सभी आवश्यक प्रोटोकॉल का पालन किया गया, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को सूचना दी गई और शव परिजनों को सौंपे गए।

वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोजाल्विस और अधिवक्ता प्रीतम सिंह ने पैरवी की। उनका कहना था कि 22 सितंबर 2025 को दोनों की फर्जी मुठभेड़ में हत्या की गई और बाद में कहानी गढ़ी गई ताकि पुलिस की कार्रवाई को सही ठहराया जा सके।

हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई 13 अक्टूबर 2025 को तय की है। तब तक राज्य सरकार को सभी दस्तावेज अदालत में जमा करने होंगे।

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