बिलासपुर. बारिश शुरू होने के बाद मनरेगा का काम सिमटने लगा है। करीब पखवाड़े भर पहले तक 400 से अधिक ग्राम पंचायतों में मनरेगा का काम चल रहे थे, जो घटकर अब 100 से भी कम हो गए है। वहीं मिट्टी-मुरूम संबंधी कार्य भी बारिश को देखते हुए रोक दिए गए है। बारिश के मौसम को देखते हुए वैसे भी 15 जून के बाद मनरेगा के काम रोक दिए जाते है। मनरेगा में ज्यादातर मिट्टी, मुरूम संबंधी कार्य होते हैं और बरसात लगने के बाद मिट्टी गीली हो जाती है तथा तालाबों , गड्ढों में पानी भर जाता है, इसलिए तालाब गहरीकरण, नए तालाब निर्माण, भूमि समतलीकरण जैसे काम फिलहाल रोक दिए गए है। वर्तमान में जिले में 100 से कम ग्राम पंचायतों में काम चल रहा है, जिसमें मजदूरों की संख्या भी कम हो गई है। वहीं पिछले साल 400 से अधिक ग्राम पंचायतों में मनरेगा का काम चल रहा था, जिसमें 1 लाख से अधिक जाब कार्डधारी मजदूर काम कर रहे थे। करीब माहभर तक ही मनरेगा का काम जोर से चल पाया था कि बरसात शुरू हो गई। उसके पहले कोरोना महामारी एवं लॉकडाउन के कारण एक माह तक मनरेगा का कामकाज ठप रहा, क्योंकि लॉकडाउन में चारो तरफ बंद-बंद था और कोरोना के भय से मजदूर भी मनरेगा में काम करने जाने तैयार नहीं थे। कोरोना के कारण मनरेगा के कामकाज में भी काफी असर पड़ा है। इस बार कोरोना की दूसरी लहर गांव-गांव तक फैला था और घरों-घर लोग बीमार पड़े। मनरेगा में काम करने वाले कई जाब कार्डधारी मजदूर कोरोना संक्रमित होकर बीमार पडे़। वहीं कई रोजगार सहायक और पंचायत सचिव भी कोरोना के चपेट में आए थे।