बिलासपुर। जिले के क्वाराटांइन सेंटरों में गई भोजन, साफ पानी, स्वास्थ्य परीक्षण, साफ-सफाई, व्यक्तिगत स्वच्छता की व्यवस्था से प्रवासी श्रमिक संतुष्ट हैं और वे खुशी-खुशी अपने क्वारांटाइन की अवधि को पूरा कर रहे हैं।
दूसरे प्रदेशों से कई दिनों की यात्रा कर अपने गांव आने वाले थके-हारे मजदूरों को जैसे ही क्वारांटाइन सेंटर में पहुंचाया जाता है उन्हें तत्काल गर्म भोजन और ठंडा पानी देने के लिए स्व-सहायता समूह की महिलायें तैयार रहती हैं। क्वारांटाइन सेंटर में आने वाले श्रमिकों की स्वच्छता का ध्यान रखते हुए नहाने और कपड़े धोने के लिए साबुन दिया जा रहा है। क्वारांटाइन सेंटर को लगातार सैनेटाइज भी किया जा रहा है, जिससे संक्रमण के खतरे से बचते हुए श्रमिक सुरक्षित रह सकें। क्वारांटाइन सेंटरों में श्रमिकों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए टीम तैयार रहती है। जिन्हें सर्दी, खांसी, बुखार हो उनका सैम्पल लिया जाता है।
कोटा विकासखंड के ग्राम पंचायत अमाली के माध्यमिक शाला में 12 श्रमिक क्वारांटाइन हैं, जो आंध्र-प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र आदि राज्यों से आये हैं। इसी तरह ग्राम पंचायत उपका के प्राथमिक शाला में बनाये गये क्वारांटाइन सेंटर में 23 श्रमिक रखे गये थे, जिनमें से 10 श्रमिक क्वारांटाइन अवधि पूरी कर अपने घर जा चुके हैं। इस समय यहां 13 श्रमिक रुके हुए हैं। कोटा विकासखंड के ही ग्राम पंचायत पोड़ीसल्का के डबरीपारा प्राथमिक शाला में 21 श्रमिक ग्राम पंचायत तेंदुआ के हाईस्कूल में 68 श्रमिक क्वारांटाइन हैं। पूरे कोटा जनपद पंचायत में 169 क्वारांटाइन सेंटर बनाये गये हैं। अभी तक 2541 श्रमिक क्षेत्र में बाहर से आये हैं तथा वर्तमान में 2453 क्वारांटाइन हैं। शेष ने 14 दिन की क्वारांटाइन अवधि पूरी कर ली है। प्रत्येक सेंटर के लिए क्षेत्र के पटवारी अथवा सम्बन्धित स्कूल के प्राचार्य को नोडल अधिकारी बनाया गया है। सभी क्वारांटाइन सेंटर में निगरानी समिति बनाई गई है जिनमें ग्राम के सरपंच, सचिव, स्कूल का कर्मचारी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका एवं एसपीओ शामिल किये गये हैं। ये टीम श्रमिकों के सुबह-शाम की भोजन व्यवस्था और अन्य देख-रेख करते हैं तथा सामाजिक दूरी बनाये रखने के दिशा-निर्देशों का पालन कराते हैं।
हाल ही में दिये गये निर्देश के अनुरूप क्वारांटाइन सेंटर में रह रहे मजदूरों के बच्चों की शिक्षा बाधित न हो इसके लिए उनकी सूची तैयार की जा रही हैं। प्रत्येक कवारांटाइन सेंटर में एक पंजी में बच्चों के नाम, उम्र, किस कक्षा में पढ़ रहे थे, किस कक्षा में पढ़ना है इसकी जानकारी दर्ज की जा रही है जिससे इन बच्चों को स्कूलों में प्रवेश कराया जा सके।