पूर्व मंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट पर 17 साल में फेलर रिपोर्ट
बिलासपुर। बिलासपुर का सीवरेज प्रोजेक्ट, जिसे पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल का ड्रीम प्रोजेक्ट कहा जाता है, 17 साल बाद भी अधूरा है। इस दौरान 400 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन अब तक शहर का दूषित पानी खुली नालियों और अरपा नदी में जा रहा है।
5 सदस्यीय विधायकों की टीम ने किया निरीक्षण
शासन ने प्रोजेक्ट की वास्तविक स्थिति जानने के लिए पांच सदस्यीय विधायकों की टीम बनाई। गुरुवार को बिलासपुर पहुंची टीम ने विकास भवन में नगर निगम आयुक्त अमित कुमार से मुलाकात कर सभी संबंधित कागजात मांगे। टीम में शामिल विधायक हैं:
- बिल्हा: धरमलाल कौशिक
- बेलतरा: सुशांत शुक्ला
- तखतपुर: धर्मजीत सिंह
- रायपुर ग्रामीण: मोतीलाल साहू
- अंबिकापुर: भैययालाल राजवाड़े
अरपा नदी में दूषित पानी और अधूरी योजना
टीम ने निरीक्षण के दौरान देखा कि सिम्स (छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान) का दूषित पानी सीधे अरपा नदी में जा रहा है। निगम अधिकारियों ने बताया कि प्लान तो है, लेकिन फंड नहीं। विधायकों ने कहा कि 400 करोड़ रुपये बर्बाद होने के बाद भी नदी में दूषित पानी नहीं रोका गया, जो प्रोजेक्ट की विफलता को स्पष्ट करता है।
सीवरेज प्लांट और तकनीकी लापरवाही
टीम ने चिल्हाटी और दोमुहानी स्थित सीवरेज प्लांट का निरीक्षण किया। वहाँ अधिकांश कार्य अधूरा और असंगठित पाया गया। इससे यह साफ है कि प्रोजेक्ट में लापरवाही और भ्रष्टाचार हुआ।
विधायकों का आक्रोश और कार्रवाई की मांग
- तखतपुर विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि लागत बढ़ाने और डेडलाइन बढ़ाने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
- बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला ने कहा कि जनता को एक भी रुपया लाभ नहीं मिला। प्रोजेक्ट 17 साल बाद भी अधर में है।
- बिल्हा विधायक धरमलाल कौशिक ने टीएनसी अनुमति न लेने की लापरवाही पर सवाल उठाया।
निर्माण क्रम में तकनीकी गड़बड़ी
रिवर व्यू क्षेत्र का निरीक्षण करते हुए टीम ने पाया कि सड़क पहले बनाई जा रही है, नाली बाद में, जिससे दूषित पानी सीधे नदी में जा रहा है। विधायकों ने कहा कि पहले नाली, फिर सड़क निर्माण किया जाए।
प्रोजेक्ट प्रभारी अधिकारियों पर जांच की सिफारिश
सीवरेज प्रोजेक्ट के प्रमुख प्रभारी:
- पीके पंचायती
- मनोरंजन सरकार
- सुरेश बरुआ
इन तीनों अधिकारियों के कार्यकाल में भी प्रोजेक्ट अधूरा रहा। विधायकों ने कहा कि इनके खिलाफ जांच और रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होनी चाहिए।