बिलासपुर। जिंदगी की पहली सांस लेते ही मां की ममता से महरूम हुए एक मासूम को सिम्स प्रबंधन ने उपचार और देखभाल के बाद शनिवार को चाइल्ड लाइन बिलासपुर को सौंप दिया। अस्पताल में पूरे महीने चले इंतजार और देखरेख के बाद यह कदम उठाया गया, ताकि इस बच्चे का भविष्य सुरक्षित हो सके।
15 अगस्त को सिम्स के महिला एवं प्रसूति विभाग में एक गर्भवती युवती को भर्ती किया गया था, जहां उसने पुत्र को जन्म दिया। प्रसव के अगले ही दिन प्रसूता को लेबर रूम से छुट्टी दे दी गई। परिजन 24 अगस्त तक वार्ड में नवजात से मिलने आते रहे, लेकिन 25 अगस्त से अचानक आना बंद कर दिया। गर्भवती का नाम सकरी के पास के भरनी (परसदा) सकरी निवासी कविता (20 वर्ष) दर्ज कराया गया था। जब संपर्क के लिए दिए गए मोबाइल नंबरों पर कॉल किया गया तो व रांग नंबर मिला और बताए गए पते पर भी कोई उस नाम का नहीं मिला।
स्तनपान और मां की ममता भरी गोद से वंचित शिशु को विभाग के एनआईसीयू वार्ड में भर्ती किया गया। विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश नहरेल और उनकी टीम डॉ. समीर कुमार जैन, डॉ. सलीम खलखो, डॉ. मीनाक्षी ठाकुर, डॉ. जायकिशोर, सिस्टर इंचार्ज विभा श्रीवास, सरोजिनी, कमलेश, मीरा देवांगन और आया भावना सिदार व पुष्पा ने मनोयोग से उसकी देखभाल की।
संयुक्त संचालक एवं अधीक्षक डॉ. लखन सिंह के निर्देश पर 11 सितम्बर से नवजात के पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू की गई थी। शनिवार को औपचारिक रूप से चाइल्ड लाइन प्रभारी चंद्रशेखर तिवारी, सुपरवाइजर आस्था सिंह और चंद्रप्रकाश श्रीवास की मौजूदगी में शिशु को चाइल्ड लाइन के सुपुर्द कर दिया गया। इस अवसर पर समाजिक कार्यकर्ता विकास साहू (सेवा भारती मातृछाया, बिलासपुर) भी मौजूद रहे।
सिम्स के अधिष्ठाता डॉ. रमणेश मूर्ति ने बताया कि नवजात को पूरी तरह सुरक्षा दी गई और बेहतर देखभाल की गई। अब चाइल्ड लाइन उसके भविष्य और पालन-पोषण की जिम्मेदारी संभालेगी, ताकि यह मासूम जीवन एक नई उम्मीद के साथ आगे बढ़ सके।