श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में प्रकृति का कहर ऐसा टूटा कि एक पल में सैकड़ों परिवारों की खुशियां छिन गईं। 14 अगस्त 2025 की दोपहर को चशोती गांव में हुए भीषण बादल फटने से आई बाढ़ और भूस्खलन ने पूरे इलाके को तबाही की चपेट में ले लिया। घर उजड़ गए, सपने बह गए, और अपनों की चीखें मलबे में दबकर रह गईं।

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने खुद इस दर्दनाक स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि करीब 500 लोग मलबे में दबे हो सकते हैं, जिनकी जिंदगी अब एक धागे से लटकी हुई है। यह खबर सुनकर हर दिल रो रहा है, क्योंकि यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि सैकड़ों जिंदगियों का सवाल है।

मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा, सैकड़ों लापता

आज, 15 अगस्त 2025 को, जब पूरा देश स्वतंत्रता दिवस की खुशियां मना रहा है, किश्तवाड़ में मौत का मंजर फैला हुआ है। अब तक 60 लोगों की मौत हो चुकी है, 100 से ज्यादा घायल हैं, और 200 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं। चशोती गांव, जो कभी हरी-भरी वादियों से घिरा शांतिपूर्ण जगह था, अब मलबे और कीचड़ का ढेर बन गया है। स्थानीय लोग बताते हैं कि बादल फटने के बाद तेज बहाव ने घरों को बहा दिया, और लोग अपनी जान बचाने के लिए चिल्लाते रहे, लेकिन मदद पहुंचने में देर हो गई। घायलों में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं, जो अस्पतालों में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह आंकड़ा और बढ़ सकता है, क्योंकि मलबे में दबे लोगों को निकालना बेहद मुश्किल हो रहा है। परिवारों का दर्द देखकर आंखें नम हो जाती हैं – एक मां अपनी बच्ची की तलाश में रो रही है, तो कोई पिता अपनों के शव की पहचान के लिए भटक रहा है।

सेना और राहत दल दिन-रात जुटे, लेकिन चुनौतियां कम नहीं

बचाव अभियान पूरे जोर-शोर से चल रहा है। सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय पुलिस की टीमें मलबे को हटाने में लगी हुई हैं। हेलीकॉप्टरों से राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है, और ड्रोन का इस्तेमाल करके लापता लोगों की तलाश की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा से बात की और हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। लेकिन भारी बारिश और दुर्गम इलाका बचाव कार्य को मुश्किल बना रहा है। रोड ब्लॉक हैं, और कई जगहों पर पहुंचना नामुमकिन हो गया है। स्थानीय निवासी भी हाथ बंटा रहे हैं, लेकिन हर गुजरते पल के साथ उम्मीदें कमजोर पड़ रही हैं। अब तक 21 शवों की पहचान हो चुकी है, लेकिन बाकी के लिए इंतजार लंबा है।

स्वतंत्रता दिवस पर पड़ा गहरा असर: खुशियां शोक में बदलीं

जब पूरा देश तिरंगे की शान में डूबा हुआ है, किश्तवाड़ सहित पूरे कश्मीर में स्वतंत्रता दिवस का जश्न फीका पड़ गया। कई जगहों पर समारोह रद्द कर दिए गए, और झंडारोहण के दौरान मौन रखा गया। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने स्वतंत्रता दिवस के संदेश में इस त्रासदी का जिक्र करते हुए कहा कि आज की आजादी की खुशी अधूरी है, क्योंकि हमारे भाई-बहन मुसीबत में हैं। पूरे जम्मू-कश्मीर में शोक की लहर है, और लोग अपनों के लिए दुआएं मांग रहे हैं। यह घटना हमें याद दिलाती है कि प्रकृति के आगे हम कितने असहाय हैं, और सड़कें, पुल और बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने की कितनी जरूरत है।

उन्होंने कहा कि यह त्रासदी न सिर्फ किश्तवाड़ की, बल्कि पूरे देश की है। हम सब मिलकर दुआ करें कि बचाव दल जल्द से जल्द लोगों को सुरक्षित निकालें, और प्रभावित परिवारों को न्याय मिले। सरकार से अपील है कि राहत पैकेज जल्द जारी किया जाए, ताकि ये परिवार फिर से खड़े हो सकें।

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