बोले- टीआई नवरंग को बचाने की कोशिश कर रहे अफसर, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की भी अनदेखी
बिलासपुर। सरकंडा थाने के तत्कालीन टीआई तोप सिंह नवरंग द्वारा नायब तहसीलदार पुष्पराज मिश्रा से दुर्व्यवहार के मामले में जांच प्रक्रिया पर ही सवाल उठने लगे हैं। तहसीलदार मिश्रा ने शुक्रवार को पुलिस मुख्यालय पहुंचकर डीजीपी अरुण देव गौतम से मुलाकात की और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की। उनका आरोप है कि तीन एएसपी द्वारा की गई जांच में तथ्यों को नजरअंदाज कर नवरंग को बचाने की कोशिश की गई है।
👉 पुलिस अफसरों पर जांच में लापरवाही का आरोप
पुष्पराज मिश्रा ने पुलिस अफसरों द्वारा की गई जांच की कई खामियों को उजागर किया है। उन्होंने ऑडियो रिकॉर्डिंग, थाने और सिम्स हॉस्पिटल के सीसीटीवी फुटेज समेत सारे साक्ष्य पेश किए, जिनमें साफ दिख रहा है कि उनके साथ और उनके परिवार के सदस्यों के साथ धक्कामुक्की और दुर्व्यवहार किया गया था।
फिर भी, एएसपी उदयन बेहार ने रिपोर्ट में लिखा कि थाने के सीसीटीवी कैमरों में ऑडियो की सुविधा नहीं थी, जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश हैं कि सभी थानों में ऑडियो सहित सीसीटीवी कैमरे लगे होने चाहिए।
👉 बयान बुलावे में भी गड़बड़ी
मिश्रा ने बताया है कि जब एएसपी राजेंद्र जायसवाल ने बयान के लिए पत्र भेजा, तब वह बयान की तारीख निकलने के बाद पोस्ट किया गया था। इसी को आधार बनाकर रिपोर्ट में यह कहा गया कि मिश्रा ने जांच में रुचि नहीं दिखाई। मिश्रा ने डाक विभाग से जानकारी निकालकर यह प्रमाणित किया कि पत्र जानबूझकर देर से भेजा गया।
👉 महिला एएसपी ने भी नजरअंदाज किए वीडियो सबूत
आईजी द्वारा नियुक्त जांच अधिकारी एएसपी गरिमा द्विवेदी ने भी सीसीटीवी फुटेज की उस क्लिपिंग को नजरअंदाज कर दिया जिसमें साफ तौर पर दुर्व्यवहार और धक्का-मुक्की दिखाई दे रही थी।
👉 डीजीपी ने दिया नए सिरे से जांच का आश्वासन
डीजीपी अरुण देव गौतम ने पूरे मामले की बातचीत सुनने के बाद नई जांच की बात कही है। पुष्पराज मिश्रा ने मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, गृह सचिव और कलेक्टर को भी शिकायत की कॉपी भेजी है।
📌 पृष्ठभूमि:
16 नवंबर 2024 की रात सरकंडा थाने में टीआई तोप सिंह नवरंग ने नायब तहसीलदार पुष्पेंद्र मिश्रा, उनके भाई (जो इंजीनियर हैं) और पिता से मारपीट और बदसलूकी की थी। घटना का वीडियो और ऑडियो भी वायरल हुआ था। इसके बाद छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ ने इस मामले को लेकर मोर्चा खोल दिया था।
आईजी डॉ. संजीव शुक्ला ने कार्रवाई करते हुए टीआई नवरंग को लाइन अटैच किया था और विभागीय जांच के आदेश दिए थे। हालांकि, कुछ महीनों बाद नवरंग को फिर से बिलासपुर बुला लिया गया और अब कोटा थाने का प्रभार दे दिया गया है।