बिलासपुर। नान घोटाले के एक आरोपी आईएएस अनिल टुटेजा को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली। केन्द्र व राज्य शासन द्वारा उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है। इस पर उन्होंने स्थगन की अपील की थी। कोर्ट ने याचिका को सुनवाई कर लिया है लेकिन स्थगन देने से इंकार कर दिया है।
भाजपा शासनकाल के दौरान छत्तीसगढ़ में करीब 36 हजार करोड़ रुपये का नागरिक आपूर्ति निगम में घोटाला आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो और एंटी करप्शन ब्यूरो ने पाया था। कई ठिकानों से करोड़ों रुपये नगद भी बरामद की गई थी। इसमें नान के तत्कालीन महाप्रबंधक, आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा भी एक आरोपी हैं। राज्य सरकार ने 17 जुलाई 2015 को तथा केन्द्र सरकार ने 4 जुलाई 2016 को उनके खिलाफ अभियोजन को मंजूरी दी थी। स्वीकृति के करीब पांच साल बाद इस साल फरवरी में उन्होंने सेशन कोर्ट रायपुर में चुनौती देते हुए स्थगन की मांग की। जज लीना अग्रवाल की कोर्ट ने यह कहते हुए आवेदन खारिज कर दिया था कि अभियोजन की स्वीकृति को निरस्त करना या उस पर स्थगन देना तभी हो सकता है जब लगाये गये आरोप पूरी तरह तथ्यविहीन हों। राज्य व केन्द्र सरकार द्वारा उन तथ्यों का उल्लेख किया गया है जिसके आधार पर अभियोजन की मंजूरी दी गई है।
इसके बाद टुटेजा ने हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिविजन दायर किया। एक बार यह मामला जस्टिस आरसीएस सावंत की कोर्ट में लगा था जिसे उन्होंने सुनने से इंकार कर दिया था। इसके बाद इसकी सुनवाई 18 जून को जस्टिस एन पी चंद्रवंशी की कोर्ट में हुई। उन्होंने याचिकाकर्ता और राज्य शासन के तर्कों को सुनने के बाद अभियोजन के आदेश पर स्थगन देने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि प्रेवेन्शन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 19 (3) के अंतर्गत स्थगन देने का कोई औचित्य दिखाई नहीं देता।
ज्ञात हो कि इस मामले में टुटेजा के खिलाफ चालान पेश किया जा चुका है और वे हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत पर हैं।