बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में इस वर्ष की पहली नेशनल लोक अदालत का आयोजन 8 मार्च को किया गया, जिसमें 34 लाख से अधिक मामलों का निपटारा हुआ और 1300 करोड़ रुपये से अधिक के अवार्ड पारित किए गए। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने रायपुर जिला न्यायालय में दीप प्रज्ज्वलन कर किया। इसके साथ ही उन्होंने राज्य के अन्य जिलों और उच्च न्यायालय में गठित खंडपीठों का वर्चुअल निरीक्षण भी किया।
इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में मुख्य न्यायाधीश ने महिलाओं की भूमिका और योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि आज महिलाएँ हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, चाहे वह धरती हो या अंतरिक्ष।
मुख्य न्यायाधीश ने नेशनल लोक अदालत की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि यह पक्षकारों को त्वरित और सुलभ न्याय दिलाने का एक प्रभावी मंच है। उन्होंने न्यायिक अधिकारियों, अधिवक्ताओं, बैंक एवं बीमा प्रतिनिधियों तथा सभी हितधारकों को अधिक से अधिक मामलों के निपटारे के लिए प्रोत्साहित किया।
कार्यक्रम के दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आयोजित प्रदर्शनी, रेडी-टू-ईट स्टॉल, मोबाइल लोक अदालत वेन को हरी झंडी दिखाने जैसी पहलें भी की गईं। हितग्राहियों को व्हीलचेयर, ट्राइसाइकिल और श्रम कार्ड वितरित किए गए।
मुख्य न्यायाधीश ने वर्चुअल माध्यम से अंबिकापुर, धमतरी, बिलासपुर, कांकेर, दुर्ग, दंतेवाड़ा समेत अन्य जिलों के न्यायाधीशों से संवाद कर लोक अदालत की प्रगति का जायजा लिया और अधिक से अधिक मामलों के निपटारे के निर्देश दिए।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार व्यास और न्यायमूर्ति राकेश मोहन पाण्डेय, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष न्यायमूर्ति संजय के. अग्रवाल, विभिन्न विभागों के अधिकारी, अधिवक्ता और स्वयंसेवी संगठन उपस्थित रहे।
मुख्य न्यायाधीश ने लोक अदालत की सफलता में योगदान देने वाले सभी न्यायिक अधिकारियों, कर्मचारियों, पुलिस प्रशासन, मीडिया और अन्य सहयोगियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।