बिलासपुर। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि वह दंतेवाड़ा के विधायक भीमा मंडावी की हत्या की जांच के लिए राज्य सरकार को जरूरी दस्तावेज उपलब्ध कराये।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी, एनआईए ने बिलासपुर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा था कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर स्व. भीमा मंडावी की हत्या के मामले में उसने बीते 17 मई को आईपीसी और भारतीय शस्त्र अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत अपराध दर्ज कराया है। इसकी जांच के लिए राज्य सरकार से आवश्यक दस्तावेज और अब तक हुई जांच की जानकारी उन्हें उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि मंडावी की हत्या की विशेष दल से जांच के अलावा न्यायिक जांच भी कराई जा रही है। यह जांच तीन माह में पूरी होने वाली है।
दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने एनआईए को इस मामले की जांच की अनुमति देने और राज्य सरकार को आवश्यक सहयोग करने के लिए कहा है।
ज्ञात हो कि विगत 9 अप्रैल को दंतेवाड़ा के भाजपा विधायक भीमा मंडावी नक्सल हमले में तब मारे गये थे जब वे श्यामगिरी के बाजार से गुजर रहे थे। नक्सलियों आईईडी ब्लास्ट किया था, जिसमें चार जवान भी शहीद हो गये थे। भाजपा ने इस मामले में साजिश की आशंका जताते हुए घटना की सीबीआई जांच की मांग की थी। चूंकि राज्य सरकार ने सीबीआई को जांच के लिए प्रदेश में रोक रखा है, इसलिये राज्य सरकार की सहमति इसमें जरूरी थी। इसके बाद एनआईए को जांच का निर्देश दिया गया, जो बिना राज्य सरकार की सहमति या सिफारिश के केन्द्र के निर्देश पर जांच शुरू कर सकती है।
हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि भीमा मंडावी हत्याकांड की जांच न्यायिक आयोग से जारी रहेगी। इसकी जांच के बिन्दु तय हो गये हैं और तीन माह में जांच पूरी कर ली जायेगी।