मंत्री पीयूष गोयल के तीन माह पहले से दे रखा था निर्देश
रेलवे स्टेशन और ट्रेनों में केटरिंग कर्मचारी अक्सर बिल देने में आना-कानी करते हैं, वे तय कीमत से अधिक रकम भी वसूल लेते हैं। इन पर सख्ती बरतने के लिए रेलवे ने एक नया नियम लागू कर दिया है- ‘बिल नहीं तो फ्री खाना।’
जी हां! रेल मंत्री पीयूष गोयल ने खाद्य-सामग्रियों के ओवर चार्जिंग के मामलों को अतिसंवेदनशील की श्रेणी में रख दिया है। उन्होंने मार्च 2018 में ही ‘बिल नहीं तो फ्री में खाना’ योजना शुरू करने का निर्देश दिया था, जिसे अब रेलवे ने सख्ती से लागू करने का निर्णय लिया है। इसका मुख्य उद्देश्य रेलवे के खानपान से संबंधित प्रणाली में पारदर्शिता लाना एवं वेंडरों द्वारा खाद्य-सामग्रियों की अधिक कीमत लिये जाने पर पूरी तरह से अंकुश लगाना है। बिलासपुर मंडल के सभी केटरिंग यूनिट के संचालकों को इस योजना की जानकारी दे दी गई है। इसके बाद अब शायद ही कोई वेंडर बिल देने में आना-कानी करेगा। अधिक कीमत वसूले जाने की शिकायत न केवल प्लेटफॉर्म के खान-पान स्टालों से है, बल्कि ट्रेन यात्रा के दौरान पेंट्रीकार में भी यही होता है।
समय-समय पर रेल प्रशासन विशेष अभियान चलाकर पेंट्रीकार और स्टेशन के केटरिंग संचालकों को सख्त हिदायतें देता रहा है और उन पर जुर्माना भी किया जाता रहा है।
रेलवे ने नए निर्देश में सभी सामग्रियों के पैकेट में बनने की तिथि एवं उपयोग करने की तिथि का उल्लेख अवश्य हो, इसे सुनिश्चित करने कहा है। प्लेटफॉर्म पर इस बारे में उद्घोषणा करने का निर्देश भी दिया गया है।