बिलासपुर। 22 जनवरी को आग लगने के बाद सिम्स हास्पिटल से शिफ्ट किये गए पांच नवजातों की अब तक मौत हो चुकी है। इनमें दो मौतें महादेव हास्पिटल में हुई है। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि ये दोनों मौतें धुएं के कारण नहीं बल्कि उनकी जटिल स्थिति के कारण हुई।
सिम्स के पावर कंट्रोल यूनिट में आग लगने के कारण शिशु वार्ड और इससे लगे एनआईसीयू की ओर धुआं फैल गया था। आनन-फानन में यहां भर्ती 40 शिशुओं को निकालकर बाहर लाया गया था। इनमें से गंभीर 22 शिशुओं को निजी चिन्ड्रल हॉस्पिटल शिशु भवन, महादेव हास्पिटल और अन्य अस्पतालों में शिफ्ट किया गया था। महादेव हास्पिटल में भर्ती दो बच्चों की मौत हो चुकी है। महादेव हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. आशुतोष तिवारी ने आज पत्रकार वार्ता में बताया कि जो 13 नवजात यहां लाये गये थे वे सभी एनआईसीयू से गंभीर स्थिति में लाकर भर्ती कराये गये थे। ये नवजात दो तीन दिन से लेकर एक माह पूर्व के जन्म लेने वाले हैं। इनको मष्तिष्क ज्वर, किडनी फेल, कम वजन के कारण होने वाली बीमारियां थीं। इन नवजातों के बेहतर उपचार के सभी संभव प्रयास किये गए हैं। यहां भर्ती दो नवजात मरीजों की मौत हुई है, जिनमें से किसी पर भी कार्बन मोनो आक्साइड के लक्षण नहीं थे। इससे प्रभावित शिशुओं के जीभ और होंठ का रंग सुर्ख़ लाल हो जाता है। शेष 11 शिशुओं में से चार को आज उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई है। सात अन्य दाखिल हैं, जिनमें से दो की तबियत में सुधार है। एक दो दिन में उन्हें भी छोड़ दिया जायेगा। शेष पांच का भी एनआईसीयू में उपचार किया जा रहा है।
मालूम हो कि उपचार के दौरान ही दो नवजातों की निजी हास्पिटल शिशु भवन में मौत हो चुकी है। एक नवजात की शिफ्टिंग के दौरान मौत हो गई थी।
सिम्स चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. बीपी सिंह व शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश नहरेल का कहना है कि ये मौतें भर्ती नवजातों की गंभीर स्थिति के कारण हुई हैं। मौत का यह आंकड़ा दूसरे अस्पतालों में होने वाली मौतों के औसत से कम है। नवजातों की मृत्यु का वास्तविक कारण जानने के लिए इनका शव परीक्षण भी कराया गया है। सिम्स में भर्ती शिशुओं की निगरानी के लिए दो विशेषज्ञ प्रतिदिन उपचार प्रक्रिया में शामिल रहते हैं। नवजात गहन चिकित्सा इकाई में अत्यन्त गंभीर शिशुओं को ही लाया जाता है।
बहरहाल स्वास्थ्य मंत्री के दौरे के बाद टी. एस. सिंहदेव और स्वास्थ्य सचिव निहारिका बारिक ने इस मामले की जांच के निर्देश दिये थे। सिम्स के डॉक्टरों और विभिन्न विभाग प्रमुखों की टीम ने यह जांच कर अपनी रिपोर्ट कलेक्टर को सौंप दी है।
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