बिलासपुर । झीरम घाटी हमले से संबंधित दूसरी एफ आई आर पर एनआईए की याचिका पर लगातार तीसरे दिन की सुनवाई के दौरान जस्टिस मनीन्द्र मोहन श्रीवास्तव ने अपने को अलग कर लिया। उन्होंने कहा कि उनके दायित्व की चर्चा हो रही है इसलिये इसमें मेरा शामिल होना सही नहीं रहेगा।
ज्ञात हो कि एनआईए ने राज्य शासन द्वारा दरभा थाने में एक एफआईआर जितेन्द्र मुदलियार की शिकायत पर दर्ज की है, जिसमें 25 मई 2013 को हुए नक्सल हमले के पीछे के राजनीतिक षड़यंत्र की जांच की मांग है। इस एफआईआर का एनआईए ने विरोध किया है और कहा है कि चूंकि झीरम हमले की वह जांच कर रही है इसलिये राज्य सरकार दूसरी एफआईआर दर्ज नहीं कर सकती। यदि किसी अन्य एफआईआर पर जांच करनी है तो वह भी एनआईए ही करे। राज्य शासन इसमें प्रतिवादी हैं तथा जितेन्द्र मुदलियार हस्तक्षेपकर्ता के रूप में याचिका में शामिल हैं।
सोमवार को जस्टिस मनींद्र श्रीवास्तव और जस्टिस विमला सिंह कपूर की खंडपीठ में इस याचिका पर आगे सुनवाई हुई। तीसरे दिन सुनवाई पूर्ण होने के पहले ही जस्टिस श्रीवास्तव ने अपने आपको खंडपीठ से मुक्त कर दिया। उन्होंने कहा कि उनके बारे में नए दावित्व की चर्चा हो रही है इसलिए मेरा निर्णय में शामिल होना सही नहीं रहेगा।
आज खंडपीठ ने मामले से संबंधित सभी अधिवक्ताओं को समक्ष बुलाकर कहा कि ताजा परिस्थिति में इस याचिका की सुनवाई पूरी कर इसे फैसले के लिए सुरक्षित रखना संभव नहीं होगा, क्योंकि इसमें फैसला देने में कुछ समय लग सकता है।
यह बात जस्टिसश्रीवास्तव ने अपने अपने राजस्थान हाई कोर्ट के स्थानांतरण संबंधित समाचारों के मद्देनजर कही। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायिक परंपराओं के अनुसार जब तक परिस्थिति पूरी तरह साफ नहीं होती इस खंडपीठ में यह याचिका अधूरी सुनवाई के साथ बंधक नहीं रह सकती। इसलिए इस आंशिक सुनी गई याचिका को मुक्त करना आवश्यक है।
शिकायतकर्ता जितेंद्र मुदलियार के अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने यह अनुरोध किया कि एनआईए एक्ट की धारा 6 (7 ) के तहत जांच पर स्टे नहीं हो सकता, इसलिए पूर्व में दिया गया स्टे आर्डर समाप्त कर दिया जाए।
इस पर भी खंडपीठ तैयार नहीं हुई और कहा कि हम इस स्तर पर कोई भी आदेश नहीं देना चाहते और हम याचिका को अपने समक्ष सुनवाई से मुक्त कर रहे हैं। खंडपीठ ने याचिका को 10 दिन बाद पुनः उपयुक्त बेंच के सामने लगाने का निर्देश दिया। इस दौरान राज्य शासन की ओर से उप महाधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और केंद्र सरकार से ए एस जी रमाकांत मिश्रा उपस्थित थे।