रायपुर। छत्तीसगढ़ में जंगलों के संरक्षण और विकास के लिए भारत सरकार से पिछले छह वर्षों (2019-20 से 2024-25) के दौरान 7297.55 करोड़ रुपए मिले, लेकिन इनमें से अब तक सिर्फ 4010.43 करोड़ रुपए, यानी लगभग 55 प्रतिशत राशि ही खर्च हो पाई है। शेष 45% से अधिक फंड अब भी पड़ा है। कैम्पा गवर्निंग बॉडी की तीसरी बैठक में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के समक्ष अधिकारियों ने यह जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि कैम्पा मद का उपयोग नियमानुसार और प्राथमिकता के आधार पर समुचित ढंग से किया जाए।

🔹 वनों से समृद्ध राज्य, लेकिन फंड के उपयोग में ढिलाई

मुख्यमंत्री साय की अध्यक्षता में मंत्रालय में आयोजित कैम्पा गवर्निंग बॉडी की तीसरी बैठक में उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ का 44% हिस्सा वनों से ढका है, और देश में वन क्षेत्रफल के लिहाज़ से राज्य तीसरे नंबर पर है। इतने बड़े वन क्षेत्र वाले राज्य में वन सुरक्षा, वृक्षारोपण, वन्यप्राणी संरक्षण जैसे कार्यों के लिए मिलने वाले फंड का समुचित उपयोग होना चाहिए।

🔹 जरूरी योजनाएं, अधूरे काम

कैम्पा फंड से अभी तक जिन कामों को अंजाम दिया गया, उनमें वृक्षारोपण, वनग्रामों का पुनर्स्थापन, देवगुड़ी संरक्षण, पुल-पुलिया निर्माण, चारागाह विकास, हाईटेक बेरियर निर्माण, वन मार्गों का उन्नयन, नदी तट वृक्षारोपण, अग्नि सुरक्षा, वन्यप्राणी प्रबंधन और फ्रंटलाइन स्टाफ के लिए आवास शामिल हैं।

🔹 नई योजना के लिए 694 करोड़ का प्रस्ताव

बैठक में यह भी बताया गया कि 2025-26 के लिए 694.18 करोड़ रुपए की कार्य योजना भारत सरकार को भेजी गई है, जिसके विरुद्ध 433.69 करोड़ की स्वीकृति मिल चुकी है।

मुख्यमंत्री साय ने अधिकारियों से कहा कि अब काम में तेजी लाई जाए, पारदर्शिता रहे और प्राथमिकता तय हो। उन्होंने स्पष्ट किया कि वन क्षेत्रों की सुरक्षा और वनवासियों की भलाई में किसी तरह की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी

🔹 बैठक में शामिल हुए वरिष्ठ अधिकारी

बैठक में वन मंत्री केदार कश्यप, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव ऋचा शर्मा, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह, और वन बल प्रमुख वी. निवास राव समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here