बिलासपुर, 7 जुलाई। दुर्ग जिले में वर्ष 2010 में हुई नक्सली मुठभेड़ में पुलिस अफसरों ने श्रेय लेते हुए राष्ट्रपति वीरता पदक हासिल कर लिया। वहीं इस अभियान में शामिल पुलिसकर्मियों को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन से वंचित कर दिया गया। इस मामले में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को गंभीरतापूर्वक विचार कर याचिकाकर्ताओं के अभ्यावेदन का निराकरण करने का आदेश दिया है।  दुर्ग जिले के विभिन्न थानों में पदस्थ प्रधान आरक्षक एवं आरक्षकों  ने जान की बाजी लगाकर नक्सलियों से संघर्ष किया था। इस मुठभेड़ में कर्तव्य के साथ विशेष निपुणता प्रदर्शित की थी। इस पर रेनयूलेशन की धारा 70 के तहत पदोन्नति दी जानी थी। लेकिन उन्हें पदोन्नति नहीं दी गई। इससे क्षुब्ध होकर सत्यनारायण पाठक, दीपक तिवारी सहित अन्य पुलिस कर्मियों  ने अपने अधिवक्ता संदीप सिंह, नरेंद्र मेहर व राहुल शर्मा के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। इस प्रकरण की सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय के अग्रवाल ने पुलिस महानिदेशक को याचिकाकर्ताओं के अभ्यावेदन पर 30 दिनों के भीतर निर्णय लेने निर्देश दिए हैं।

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