रायपुर। बस्तर के उमरपुर-जगदलपुर मार्ग पर 25 अप्रैल को एक पैंगोलिन, जिसका ओडिशा सीमा पर बेचने के लिए परिवहन किया जा रहा था उसे वापस वन में छोड़ने की मांग की गई है।
रायपुर के नितिन सिंघवी ने वन मंत्री को भेजे पत्र में कहा है कि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की धारा 11 की अनुसूची 1 तहत पैंगोलिन संरक्षित वन्यजीव है। आईसीयूएन की रेड बुक में इसे संकटग्रस्त प्राणी घोषित किया गया है। उन्हें बंधक बनाने या मारने का निर्णय केवल मुख्य वन्यजीव संरक्षक ले सकते हैं। कानून की जानकारी होने के बावजूद करपाबंद बस्तर के रेंजर ने सीजेएम जगदलपुर को आवेदन देकर जब्त पैंगोलिन को आवेदन दिया कि इसे जंगल में छोड़ने पर ग्रामीण उसे हानि पहुंचा सकते हैं। इसलिये सुरक्षा की दृष्टि से उसे शासन के जंगल सफारी, नया रायपुर में रखना उचित होगा। सीजेएम ने इस आवेदन पर आदेश दिया कि डीएफओ जगदलपुर के माध्यम से उसे जंगल सफारी में विधि अनुसार रखा जाए।
सिंघवी ने पत्र में कहा कि रेंजर की कार्रवाई पूरी तरह से विधि विरुद्ध है। अगर सभी वन अधिकारी ऐसा करने लगें तो वह दिन दूर नहीं जब प्रदेश में अनुसूची-एक के सभी जानवर जंगल सफारी में पाए जाएंगे। रायपुर में पैंगोलिन को रखने जाने की जानकारी होने के कारण मुख्य वन संरक्षक पैंगोलिन को नहीं छोड़ रहे हैं, जबकि उन्हें पूरा अधिकार है कि वे पैंगोलिन को वापस जंगल में छोड़ने का आदेश दें। डीएफओ जगदलपुर को भी इस बात की जानकारी है, पर उन्होंने रेंजर को मनमर्जी करने दी। पत्र में वन परिक्षेत्र अधिकारी के विरुद्ध तत्काल कार्रवाई एवं मुख्य वन जीव संरक्षक था डीएफओ जगदलपुर के विरुद्ध जांच कराने तथा पेंगोलिन को वापस वन में छोड़ने का आदेश देने की मांग की गई है।