तमिलनाडु के कवराईपेट्टई रेलवे स्टेशन पर 11 अक्टूबर को एक गंभीर रेल दुर्घटना घटी, जिसमें एक तेज रफ्तार एक्सप्रेस ट्रेन ने खड़ी मालगाड़ी को टक्कर मार दी। इस हादसे में 19 यात्री घायल हुए हैं, जिनमें से चार की हालत गंभीर है। यह हादसा बालासोर (ओडिशा) की दुखद रेल दुर्घटना की याद दिलाता है, जहाँ 2023 में सैकड़ों लोग मारे गए थे।
रेलवे की प्रारंभिक जांच के अनुसार, यह दुर्घटना सिग्नलिंग सिस्टम की विफलता के कारण हुई। ट्रेन संख्या 12578 मैसूर-दरभंगा एक्सप्रेस को कवराईपेट्टई स्टेशन पर मुख्य लाइन से गुजरने का सिग्नल दिया गया था, लेकिन ट्रेन अचानक लूप लाइन में चली गई और वहां खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई। इस हादसे में ट्रेन के कम से कम 13 डिब्बे पटरी से उतर गए, और बिजली के झटके के कारण पावर कार में आग भी लग गई।
यह दुर्घटना तब हुई जब ट्रेन लगभग 75 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से लूप लाइन में प्रवेश कर रही थी। हादसे के दौरान ट्रेन में 1,360 यात्री सवार थे। तिरुवल्लुर जिले के कलेक्टर टी प्रभुशंकर ने बताया कि सभी घायलों को निकटवर्ती अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
रेल परिचालन की सुरक्षा पर सवाल
यह दुर्घटना भारतीय रेल की संचालन प्रणाली पर एक बड़ा सवालिया निशान लगाती है। बालासोर हादसे के बाद रेल मंत्रालय ने कई सुधारों की घोषणा की थी, लेकिन ऐसी घटनाएं फिर भी हो रही हैं। इस घटना ने स्पष्ट किया कि सिग्नलिंग विफलताएं और संचालन में लापरवाही बड़े हादसों का कारण बन सकती हैं। इस ताजा दुर्घटना में किसी की जान नहीं गई लेकिन 19 यात्री घायल हुए हैं।
बालासोर हादसे से सबक नहीं
बालासोर हादसे में 296 लोग मारे गए थे और 1,200 से अधिक घायल हुए थे। उस हादसे का मुख्य कारण भी सिग्नलिंग सिस्टम की विफलता थी, जो दो ट्रेनों के टकराने का कारण बनी। दुर्घटना के बाद, रेलवे अधिकारियों पर आपराधिक लापरवाही के आरोप लगे थे और सीबीआई ने जांच की थी।
तमिलनाडु की इस ताजा दुर्घटना ने फिर से यह दिखा दिया है कि रेलवे की सुरक्षा को लेकर सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। रेल दुर्घटनाओं की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है, और इसके पीछे कहीं न कहीं सिग्नलिंग प्रणाली और सुरक्षा प्रबंधन की विफलता जिम्मेदार है।
रेल परिचालन में सिग्नलिंग की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है। जैसे कि कवराईपेट्टई स्टेशन पर हुए हादसे में देखा गया, अगर सिग्नलिंग ठीक से काम करती, तो यह हादसा रोका जा सकता था।
घायलों के प्रति संवेदना और सहायता
हादसे के बाद, ट्रेन के यात्रियों के लिए विशेष ट्रेनों का प्रबंध किया गया और उन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया। रेलवे द्वारा सहायता केंद्र भी स्थापित किए गए हैं, ताकि यात्रियों और उनके परिजनों को जानकारी और मदद मिल सके।