बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इंडियन बैंक के पूर्व शाखा प्रबंधक की जमानत याचिका खारिज कर दी है। आरोप है कि उसने मुद्रा योजना के खातों से करोड़ों रुपए का गबन किया था।

मामला रायपुर के दोंदेखुर्द स्थित इंडियन बैंक शाखा का है। यहां पश्चिम बंगाल निवासी नियोजित विश्वास शाखा प्रबंधक के तौर पर पदस्थ था। जांच में सामने आया कि उसने ग्राहकों के खातों से लगभग 1 करोड़ 93 लाख 81 हजार रुपए निकाल लिए। गड़बड़ी उजागर होने के बाद बैंक के वर्तमान प्रबंधक ने विधानसभा थाने में शिकायत की। इसके बाद 4 नवंबर 2023 को एफआईआर दर्ज हुई। तब तक कुल गबन की रकम 2 करोड़ 13 लाख 71 हजार 637 रुपए पाई गई।

बताया गया कि आरोपी ने दबाव बढ़ने पर करीब 19 लाख 90 हजार रुपए अलग-अलग स्व-सहायता समूहों के खातों में वापस भी कर दिए। फरवरी 2025 में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा।

जेल में बंद रहते हुए नियोजित विश्वास ने हाईकोर्ट में जमानत की अर्जी लगाई। उसका कहना था कि उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है और उसने खाताधारकों की जमा राशि का दुरुपयोग नहीं किया। उसने यह भी दलील दी कि बैंक ने कोर्ट में जो चार्ट पेश किया उसमें लेन-देन को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया और वास्तविक खाता विवरण अब तक नहीं दिया गया।

वहीं बैंक की ओर से वकील सलीम काजी ने जमानत का कड़ा विरोध किया। उन्होंने बताया कि आरोपी ने जानबूझकर मुद्रा योजना की सीमा ग्राहकों की सहमति के बिना 1 लाख से बढ़ाकर 6 लाख रुपए कर दी और खातों में रकम डाल दी। इसी प्रक्रिया से उसने बड़ी हेराफेरी की।

हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि नियोजित विश्वास एक शाखा प्रबंधक था, इसलिए उसे सार्वजनिक धन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उसके खिलाफ प्रथम दृष्टया धोखाधड़ी और गबन के पर्याप्त साक्ष्य हैं, जो स्पष्ट तौर पर बेईमानी का इरादा दर्शाते हैं। इन तथ्यों को देखते हुए कोर्ट ने उसकी जमानत अर्जी खारिज कर दी।

 

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