बिलासपुर। निजी जमीन पर शेड डालकर कच्ची ईंट से बनाए गए मकान को ढहाने में नगर निगम और पुलिस ने पूरी ताकत लगा दी। जो लोग पीड़ित थे उनकी शिकायत तो दर्ज नहीं हुई, बल्कि उनके खिलाफ नगर निगम की शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर ली गई।
नगर निगम के सब इंजीनियर की शिकायत पर सिविल लाइन की पुलिस 27 खोली मंगला में बेजा कब्जा हटाने की कार्रवाई के लिए पहुंची। नगर निगम की शिकायत पर ही पहले सवाल उठा क्योंकि किसी की निजी जमीन के भीतर बनाए जा रहे कच्ची ईंट के शेड वाले मकान को हटाने में उसकी इतनी दिलचस्पी क्यों है जबकि मुख्य शहर में जगह-जगह अवैध निर्माण चल रहे हैं। पुलिस ने भी अपनी ताकत झोंक दी। ना केवल सिविल लाइन के टीआई शनिप रात्रे बल्कि एडिशनल एसपी उमेश कश्यप भी वहां पहुंच गए। इसके अलावा एक भीड़ भी पहुंची जो इस अतिक्रमण को हटाने में शिकायतकर्ता की ओर से थे।
नगर निगम की बेजा कब्जा टीम ने निजी जमीन कब अतिक्रमण हटाने का प्रयास किया। इसके चलते भारी वाद विवाद खड़ा हुआ। पीड़ित पक्ष ने सिविल लाइन थाने में आकर फरियाद की मगर उसकी शिकायत नहीं लिखी गई। कार्रवाई होने के बाद सब इंजीनियर जुगल सिंह ने सिविल लाइन थाने में शासकीय कार्य में बाधा डालने, अतिक्रमण दस्ते से मारपीट करने की शिकायत की। सिविल लाइन पुलिस ने बिना तहकीकात रानी यादव, मक्खन लाल, प्यारी बाई, लक्ष्मण, अहिल्या बाई, यशोदा यादव, बंशी यादव, मंजू, सुमित व लखन यादव के खिलाफ आईपीसी की धारा 147 149 186 332 353 तथा 427 के तहत अपराध दर्ज कर लिया। पुलिस ने जिस बंसी यादव का नाम एफआईआर में लिखा, उसका कई साल पहले निधन हो चुका है। यशोदा यादव का नाम भी एफआईआर में है जबकि वहां इस नाम की कोई महिला रहती ही नहीं है।
मामला कोर्ट पहुंचा तो केस डायरी देखकर जज ने संबंधित थाने को ही जमानत पर शर्तों के साथ छोड़ देने का आदेश दे दिया।
इधर रानी यादव में पुलिस अधीक्षक को भी ज्ञापन दिया और बताया कि इस जगह पर वह पिछले 20 सालों से रह रही है। वह जमीन इंद्रसेन घई की है। उसका पूरा परिवार वर्षों तक उनके घर में काम करता था, जिसके एवज में 20 साल पहले मालिक इंद्रसेन ने उन्हें जमीन देते हुए बसने की अनुमति दी थी। इंद्रसेन की मृत्यु के बाद आशा सिंह और अरुण सिंह इस पर कब्जा करने की कोशिश करते आ रहे हैं। उनके इशारे पर ही नगर निगम और पुलिस उसे व उसके परिवार को प्रताड़ित कर रही है।