पुलिस अधिकारियों को फिंगरप्रिंट जांच के लिए दो दिन का प्रशिक्षण

अटल बिहारी वाजयेयी यूनिवर्सिटी परिसर में दो दिवसीय फिंगरप्रिंट कार्यशाला चल रही है। इसमें बताया जा रहा है कि अपराधों की छानबीन में फिंगरप्रिंट काफी मददगार है। अब इसका डिजिटलाइजेशन किया जा रहा है, जिससे अपराधियों की पहचान आसानी से हो सकेगी।


फिंगरप्रिंट ब्यूरो पुलिस हेडक्वार्टर के उप पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार शर्मा ने बताया कि कार्यशाला में कोरबा, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, बिलासपुर व मुंगेली के आरक्षकों से लेकर अधिकारी शामिल हो रहे हैं।


उन्होने बताया कि फिंगरप्रिंट स्लिप दो तरह की होती है। पुलिस थानों में संदिग्ध या गिरफ्तार व्यक्तियों की जो फिंगरप्रिंट स्लिप होती है, वह सब-स्लिप और न्यायालयों द्वारा दण्डित व्यक्तियों की जो फिंगरप्रिंट होती है, उसे रिकार्ड स्लिप कहा जाता है। इसे एक निश्चित फार्मेट में तैयार किया जाता है। यह कार्यशाला इसी पर आधारित है। इससे डाटाबेस एकत्र करने के तरीके की जानकारी मिलेगी। फिंगरप्रिंट लेने की प्रक्रिया से अपराधियों को खोजकर पकड़ने, उनके संबंध में जानकारी लेने और मेनुअल और डिजिटल प्रोसेस को समझने में मदद मिलेगी।

फिंगरप्रिंट ब्यूरो रायपुर द्वारा दो दिवसीय यह कार्यशाला आईजी दीपांशु काबरा के निर्देश पर रखा गया है। कार्यक्रम में रायपुर डीएसपी सुनील कुमार शर्मा, बिलासपुर रेंज इंस्पेक्टर वि़द्या जोहर, इंस्पेक्टर अजय कुमार साहू, रायपुर क्राइम ब्रांच से सब इंस्पेक्टर धर्मेंन्द्र कुमार भारती व डीएसपी सनत कुमार जैन ने फिंगरप्रिंट के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। कार्यशाला के दौरान फिंगरप्रिंट व फुटप्रिंट के संबंध में इसकी जांच तथा आवश्यकता को बताया गया। बिलासपुर रेंज विशेषज्ञ विद्या जोहर ने बताया कि घटना स्थल पर फिंगरप्रिंट के संबंध में पुलिस को जो असुविधा होती है, इस कार्यशाला में उसका समाधान बताया जा रहा है।

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