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एक अगस्त 2025 को बेंगलुरु की विशेष अदालत ने पूर्व जद(एस) सांसद प्रज्वल रेवन्ना को एक यौन उत्पीड़न और बलात्कार मामले में दोषी ठहराया। यह मामला कर्नाटक के हासन जिले के होलेनरसीपुरा में रेवन्ना परिवार के फार्महाउस में काम करने वाली 47 वर्षीय घरेलू सहायिका के साथ 2021 में हुई दो बार की बलात्कार की घटनाओं से संबंधित है। प्रज्वल ने कथित तौर पर इन अपराधों को अपने मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड किया था, जिसने बाद में जांच में महत्वपूर्ण सबूत के रूप में काम किया। विशेष जांच दल (एसआईटी) की त्वरित कार्रवाई और ठोस सबूतों के आधार पर, अदालत ने उन्हें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376(2)(k) (प्रभुत्व की स्थिति में बलात्कार), 376(2)(n) (एक ही महिला के साथ बार-बार बलात्कार), 354 (यौन उत्पीड़न), और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66E (निजता का उल्लंघन) के तहत दोषी पाया।
मामला दबाने की कोशिश हुई
प्रज्वल रेवन्ना कर्नाटक की राजनीति में एक प्रभावशाली परिवार से ताल्लुक रखते हैं। वे पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा के पौत्र और पूर्व मंत्री एच.डी. रेवन्ना के बेटे हैं। उनके चाचा एच.डी. कुमारस्वामी कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। प्रज्वल ने 2019 में हासन लोकसभा सीट से जद(एस) के टिकट पर चुनाव जीता था और वे उस समय भारत के सबसे युवा सांसदों में से एक थे। 2024 के लोकसभा चुनाव में वे भाजपा के साथ गठबंधन में एनडीए उम्मीदवार थे, लेकिन इस घोटाले के कारण उनकी राजनीतिक छवि को गहरा धक्का लगा। रेवन्ना परिवार का जद(एस) में दबदबा रहा है, और उनकी राजनीतिक पहुंच ने शुरू में इस मामले को दबाने की कोशिश की, लेकिन जनता के आक्रोश और मीडिया के दबाव ने इसे राष्ट्रीय चर्चा का विषय बना दिया।
2900 से अधिक अश्लील वीडियो
यह मामला अप्रैल 2024 में तब सामने आया जब हासन में 2,900 से अधिक अश्लील वीडियो वाले पेन ड्राइव सामने आए, जिनमें प्रज्वल द्वारा कथित तौर पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के दृश्य थे। पीड़िता ने होलेनरसीपुरा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की, जिसमें बताया कि 2021 में, कोविड लॉकडाउन के दौरान, प्रज्वल ने हासन के गन्निकदा फार्महाउस और बेंगलुरु के बसवनगुडी स्थित उनके घर में उसका बलात्कार किया। एसआईटी ने 1,632 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें 113 गवाहों के बयान शामिल थे।
इन सबूतों से कोर्ट पहुंची नतीजे पर
- वीडियो सबूत: प्रज्वल द्वारा रिकॉर्ड किए गए वीडियो, जिनमें पीड़िता की सहमति के बिना यौन कृत्य दर्ज किए गए थे। फोरेंसिक विश्लेषण ने पुष्टि की कि वीडियो में पुरुष की आवाज और शारीरिक बनावट प्रज्वल की थी।
- डीएनए साक्ष्य: पीड़िता के कपड़ों (साड़ी और पेटीकोट) पर प्रज्वल का डीएनए मिला, जो अपराध स्थल से बरामद किया गया।
- पीड़िता का बयान: पीड़िता का बयान, जिसमें उसने उत्पीड़न और धमकियों का विस्तृत विवरण दिया, को अदालत ने विश्वसनीय माना।
- फोरेंसिक और तकनीकी सबूत: मोबाइल लोकेशन डेटा और एफएसएल रिपोर्ट ने अपराध के समय प्रज्वल की मौजूदगी की पुष्टि की।
कुल 180 दस्तावेज और 28 गवाहों की गवाही ने अभियोजन पक्ष को मजबूत किया।
पीड़िता पर भारी सामाजिक-राजनीतिक दबाव
47 वर्षीय पीड़िता, जो रेवन्ना परिवार के फार्महाउस में घरेलू सहायिका थी, ने भारी सामाजिक और राजनीतिक दबाव के बावजूद न्याय के लिए लंबा संघर्ष किया। अप्रैल 2024 में वीडियो लीक होने के बाद, उसे कथित तौर पर प्रज्वल के माता-पिता, एच.डी. रेवन्ना और भवानी रेवन्ना द्वारा अपहरण का सामना करना पड़ा, ताकि वह अपने बेटे के खिलाफ गवाही न दे सके। एसआईटी ने उसे के.आर. नगर के एक फार्महाउस से बचाया। पीड़िता ने धमकियों के बावजूद अपनी साड़ी को सबूत के रूप में संरक्षित रखा, जो बाद में डीएनए विश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ। उसकी हिम्मत और दृढ़ता को वकील अशोक नायक ने “न्याय की जीत” करार दिया।
कानूनी कार्यवाही में देरी की कोशिश
एसआईटी, जिसका नेतृत्व बी.के. सिंह, एसपी सुमना, सीमा लटकर और जांच अधिकारी शोभा ने किया, ने इस मामले में त्वरित और गहन जांच की। उन्होंने न केवल पीड़िता के बयान दर्ज किए, बल्कि फोरेंसिक विश्लेषण, डीएनए टेस्ट, और मोबाइल डेटा का उपयोग करके सबूत जुटाए। विशेष लोक अभियोजक अशोक नायक और एच.के. जगदीश ने 118 गवाहों और 180 दस्तावेजों के साथ मजबूत केस बनाया। प्रज्वल ने कानूनी कार्यवाही में देरी करने की कोशिश की, जैसे कि वीडियो की प्रतियां मांगना और वकील न मिलने का दावा करना, लेकिन कर्नाटक हाई कोर्ट ने इन याचिकाओं को खारिज कर दिया।
चुनाव के दौरान सामने आया मामला
यह मामला 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान सामने आया, जब जद(एस) और भाजपा गठबंधन में थे। वीडियो लीक होने से कर्नाटक की राजनीति में हड़कंप मच गया। जद(एस) ने शुरू में प्रज्वल का बचाव किया, लेकिन जनता के आक्रोश और विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस, के दबाव के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया। एच.डी. देवेगौड़ा और एच.डी. कुमारस्वामी ने शुरुआत में इस मामले पर चुप्पी साधी, लेकिन बाद में सार्वजनिक रूप से प्रज्वल से दूरी बना ली। प्रज्वल अप्रैल 2024 में जर्मनी भाग गए थे, लेकिन 31 मई 2024 को बेंगलुरु हवाई अड्डे पर उनकी गिरफ्तारी हुई। इस मामले ने जद(एस) की छवि को नुकसान पहुंचाया और कर्नाटक में महिलाओं की सुरक्षा पर बहस छेड़ दी।
चार और बड़े मामलों पर आना है फैसला
प्रज्वल के खिलाफ तीन अन्य बलात्कार और एक यौन उत्पीड़न का मामला लंबित है। इनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:
- दूसरा बलात्कार मामला: रेवन्ना परिवार की रसोइया के साथ बलात्कार और उसकी बेटी के साथ वीडियो कॉल पर यौन उत्पीड़न का आरोप। आरोपपत्र अगस्त 2024 में दाखिल हुआ।
- तीसरा बलात्कार मामला: हासन जिला पंचायत की एक महिला सदस्य के साथ तीन साल तक बार-बार यौन उत्पीड़न का आरोप।
- यौन उत्पीड़न मामला: एक महिला के साथ उत्पीड़न, पीछा करना, और उसकी निजी तस्वीरें गैरकानूनी रूप से साझा करने का आरोप।
- विवेकानंद रेड्डी हत्या मामला: प्रज्वल पर 2019 में आंध्र प्रदेश के नेता वाई.एस. विवेकानंद रेड्डी की हत्या में शामिल होने का आरोप है। एसआईटी की एक लीक रिपोर्ट में उनके सहयोगियों द्वारा फंड ट्रांसफर का दावा किया गया है।
इन मामलों की जांच जारी है, और अदालत में सुनवाई चल रही है।
अदालत में कोई नहीं पहुंचा परिवार से
प्रज्वल के माता-पिता, एच.डी. रेवन्ना और भवानी रेवन्ना, पर पीड़िता के अपहरण का आरोप लगा, ताकि वह गवाही न दे सके। भवानी की अग्रिम जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी। हालांकि, परिवार ने सार्वजनिक रूप से प्रज्वल का समर्थन नहीं किया। एच.डी. रेवन्ना ने कहा कि यदि प्रज्वल दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें “फांसी” दे दी जानी चाहिए। परिवार के अन्य सदस्य, जैसे एच.डी. देवेगौड़ा और कुमारस्वामी, ने इस मामले से दूरी बनाए रखी। अदालत में सजा सुनाए जाने के दौरान कोई भी परिवार का सदस्य मौजूद नहीं था।
प्रकरण का हुआ दूरगामी असर
यह मामला न केवल एक व्यक्ति के अपराध की कहानी है, बल्कि सत्ता और प्रभाव के दुरुपयोग के खिलाफ न्याय की जीत का प्रतीक भी है। इस मामले के कई असर कर्नाटक में हुए हैं-
- सामाजिक प्रभाव: इस मामले ने कर्नाटक में महिलाओं के अधिकारों और दलित समुदायों की सुरक्षा पर चर्चा को तेज किया। कई महिला संगठनों ने पीड़िता की हिम्मत की सराहना की, लेकिन यह भी बताया कि कई अन्य पीड़ित डर के कारण सामने नहीं आईं।
- तेजी से सुनवाई: यह केस 14 महीने में पूरा हुआ, जो भारत में हाई-प्रोफाइल यौन उत्पीड़न मामलों के लिए असामान्य रूप से तेज है। सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार, बलात्कार मामलों की सुनवाई दो महीने में पूरी होनी चाहिए।
- प्रज्वल का व्यवहार: सजा सुनाए जाने के बाद प्रज्वल कोर्ट में रो पड़े, जिसे कई लोगों ने उनकी हार के रूप में देखा। उनकी कानूनी टीम ने अपील करने की बात कही है।
- राजनीतिक पतन: इस मामले ने जद(एस) की छवि को नुकसान पहुंचाया और प्रज्वल की राजनीतिक करियर को लगभग समाप्त कर दिया। वे 2024 के लोकसभा चुनाव हार गए थे।