बिलासपुर। रेलवे बिलासपुर जोन में यात्री गाड़ियों की तुलना में मालगाड़ियों को अधिक प्राथमिकता दे रही है। रेलवे बोर्ड द्वारा दिए गए माल लदान के लक्ष्य को समय से पहले पूरा करने के दबाव में, लोको पायलट, असिस्टेंट लोको पायलट और ट्रेन मैनेजर (गार्ड) लगातार मानसिक और शारीरिक दबाव झेल रहे हैं।
विश्राम की कमी से बढ़ रही बीमारियां
रेलवे में लोको पायलटों की भारी कमी और लदान लक्ष्य में प्रतिवर्ष हो रही वृद्धि के कारण रनिंग स्टाफ को पर्याप्त विश्राम नहीं मिल पा रहा है। इससे वे शारीरिक और मानसिक रूप से तनावग्रस्त हो रहे हैं और विभिन्न गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। इसी के विरोध में गुरुवार सुबह से ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (AILRSA) के बैनर तले रनिंग स्टाफ ने 36 घंटे के उपवास आंदोलन की शुरुआत की।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR) के बिलासपुर, रायपुर और नागपुर डिवीजनों में सैकड़ों रनिंग स्टाफ ने धरना प्रदर्शन किया। उनकी मांग है कि रेलवे बोर्ड उन्हें सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा अनुसार मिलने वाले भत्तों से वंचित न करे और उनकी ड्यूटी घंटों का सही आंकलन कर साप्ताहिक विश्राम का अधिकार सुनिश्चित करे।
चार हजार से अधिक पद खाली, बढ़ रहा काम का बोझ
वर्तमान में SECR में लोको पायलटों के 4,000 से अधिक पद खाली हैं, जिससे कर्मचारियों पर अत्यधिक कार्यभार बढ़ गया है। लंबी अवधि की ड्यूटी को कृत्रिम रूप से दो भागों में बांटकर आंकड़े दिखाए जा रहे हैं, जिससे साप्ताहिक अवकाश में कटौती की जा रही है। रनिंग स्टाफ का आरोप है कि रेलवे प्रशासन उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहा है, जिससे कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
9 अप्रैल को दिल्ली में प्रदर्शन की तैयारी
AILRSA के बिलासपुर मंडल सचिव विकास सिंह गहरवार ने बताया कि संरक्षा मानकों की अनदेखी कर रनिंग स्टाफ से असुरक्षित कार्य करवाया जा रहा है। दुर्घटनाओं की स्थिति में रनिंग स्टाफ को ही दोषी ठहराया जाता है, जबकि उनके साथ अतिरिक्त कार्य का बोझ लादा जा रहा है।
उन्होंने बताया कि लगातार कई रात की ड्यूटी के कारण माइक्रो-स्लीपिंग (ड्राइविंग के दौरान अचानक झपकी आना) की घटनाएं बढ़ रही हैं, जो स्पीड सिग्नल पासिंग एट डेंजर (SPAD) दुर्घटनाओं के लिए मुख्य कारण बन रही हैं।
रनिंग स्टाफ की मांगों का शीघ्र समाधान नहीं होने की स्थिति में, 9 अप्रैल को दिल्ली में विशाल रैली निकाली जाएगी और जरूरत पड़ने पर हड़ताल जैसा कठोर निर्णय भी लिया जा सकता है।