बिलासपुर। श्रीकांत वर्मा मार्ग की निवासी और रेल कर्मचारी की पत्नी प्रियंका सिंह की आत्महत्या मामले में पुलिस ने अपनी जांच तेज कर दी है। प्रियंका सिंह ने आत्महत्या से पहले फेसबुक पर लाइव वीडियो पोस्ट कर अपने पड़ोसियों और कुछ अन्य लोगों पर प्रताड़ना और छेड़खानी के गंभीर आरोप लगाए थे। पुलिस ने इस मामले में मंगलवार से कुछ आरोपियों और गवाहों से पूछताछ शुरू की।
फेसबुक लाइव के बाद आत्महत्या, पड़ोसियों पर आरोप
रविवार सुबह प्रियंका सिंह ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। इससे पहले उन्होंने फेसबुक पर लाइव आकर वीडियो में 10-11 लोगों पर प्रताड़ना और छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। घटना के बाद पुलिस ने प्रियंका सिंह के घर पहुंचकर शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी रजनेश सिंह ने सिविल लाइन सीएसपी निमितेश सिंह को जांच की जिम्मेदारी सौंपी।
मंदिर के पुजारी और पड़ोसियों से पूछताछ
मंगलवार को पुलिस ने प्रियंका सिंह के पड़ोसियों और गवाहों से पूछताछ की। साईं मंदिर के पुजारी और उनके बेटे, रेलवे कर्मचारी नागू और उनकी पत्नी सहित अन्य लोगों से बयान लिए गए। प्रियंका सिंह ने अपने वीडियो में नागू और उसकी पत्नी पर भी परेशान करने का आरोप लगाया था। हालांकि, सभी आरोपियों ने आरोपों को निराधार बताया और कहा कि उनके प्रियंका सिंह से केवल सामान्य जान-पहचान थी और कभी कोई विवाद नहीं हुआ।
पुलिस कर रही है फॉरेंसिक जांच
पुलिस ने मामले से जुड़े सभी लोगों के आपराधिक रिकॉर्ड की जांच शुरू कर दी है। साथ ही प्रियंका सिंह के मोबाइल डेटा की फॉरेंसिक जांच कराई जा रही है। पुलिस उनके फेसबुक फ्रेंड लिस्ट और कॉल डिटेल्स रिकॉर्ड (सीडीआर) भी खंगाल रही है, जिससे मामले की तह तक पहुंचा जा सके।
शराब घोटाले से जुड़े नाम भी शामिल
प्रियंका सिंह ने अपने बयान में श्रीराम ज्वेलर्स के मालिक विवेक अग्रवाल का भी नाम लिया था। विवेक अग्रवाल, चर्चित शराब घोटाले के आरोपी विकास अग्रवाल का भाई है। विकास अग्रवाल फिलहाल फरार है और उसके झारखंड से तार जुड़े होने की बात सामने आई है।
जांच के दायरे में और लोग
पुलिस ने मामले की जांच के पहले दिन छह लोगों से पूछताछ की है, जिनमें आरोपियों के साथ गवाह भी शामिल थे। जांच के दौरान यह भी पता चला है कि डॉ. अजीत मिश्रा नाम के व्यक्ति ने प्रियंका सिंह पर मकान हथियाने के लिए दबाव बनाने की कोशिश की थी। मामले की पूरी सच्चाई सामने लाने के लिए पुलिस फॉरेंसिक रिपोर्ट और मोबाइल डेटा के आधार पर आगे की कार्रवाई करेगी।