बिलासपुर। विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर भारतीय रेलवे ने 22 मई से 5 जून तक पूरे देश में एक पंद्रह दिवसीय विशेष अभियान चलाया। इस बार की थीम थी – “प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करें”। इस दौरान रेलवे ने अपने सभी जोन, मंडलों, स्टेशनों और दफ्तरों में सफाई और जागरूकता से जुड़े कई कार्यक्रम किए।
कर्मचारी, यात्री और आम लोग सभी जुड़े इस पहल से
रेलवे के इस अभियान में न सिर्फ कर्मचारी, बल्कि यात्रियों, स्थानीय नागरिकों और कई संगठनों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। प्लास्टिक कचरे को अलग-अलग छांटना, प्लास्टिक बोतल क्रशिंग मशीनों की जांच, पानी बचाने के उपाय, साफ-सफाई और प्लास्टिक के कम इस्तेमाल को लेकर लोगों को जागरूक किया गया।
5 जून को दिलाई गई पर्यावरण संरक्षण की शपथ
5 जून को सभी स्टेशनों पर स्वच्छता, ऊर्जा बचत और प्लास्टिक उपयोग में कमी को लेकर शपथ दिलाई गई। रेलवे बोर्ड में यह संकल्प सदस्य (ट्रैक्शन व रोलिंग स्टॉक) ने दिलाया, जिसमें ज़ोनल रेलवे के जीएम और अन्य अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े।
इस मौके पर रेलवे की वार्षिक पर्यावरण सततता रिपोर्ट भी जारी की गई।
अभियान की कुछ खास बातें –
- करीब 150 टन प्लास्टिक कचरे का सुरक्षित तरीके से निपटारा किया गया
- 1230 से ज्यादा स्टेशनों पर पोस्टर और डिजिटल माध्यम से प्रचार-प्रसार
- 740 से ज्यादा कार्यशालाएं आयोजित की गईं
- 1200 स्टेशनों पर सफाई अभियान चलाया गया
- 180 से ज्यादा प्लास्टिक बोतल क्रशिंग मशीनों की जांच की गई
- 230 नुक्कड़ नाटकों से लोगों को स्थानीय स्तर पर जागरूक किया गया
640 करोड़ की योजना को मंजूरी
भारतीय रेलवे पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर गंभीर है। वर्ष 2025-26 के लिए 750 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी गई है जो सिर्फ पर्यावरणीय कामों पर खर्च होगी।
अब तक की पर्यावरण हितैषी योजनाएं-
- 98% ब्रॉड गेज ट्रेनों का विद्युतीकरण
- 3512 स्टेशनों पर सोलर रूफटॉप, जिससे 227 मेगावाट बिजली उत्पादन
- 100% एलईडी लाइट्स का उपयोग
- 100% बायो टॉयलेट्स यात्री कोचों में
- 9.7 करोड़ पौधे लगाए गए 2014 से अब तक
- हाइड्रोजन ईंधन पर आधारित ट्रेनों पर भी काम जारी