ड्यूटी के दौरान लोको पायलटों की सुविधा के लिए दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के प्रभावी कदम

बिलासपुर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे द्वारा लोको पायलटों की कार्य स्थितियों को बेहतर और सुरक्षित बनाने के लिए कई ठोस पहल की गई हैं, जिससे उनकी कार्यक्षमता में बढ़ोतरी के साथ-साथ मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। ये प्रयास रेलवे संचालन की गुणवत्ता को ऊंचाई तक ले जाने की दिशा में महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।

वर्तमान में जो 508 इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव इंजन हैं, उनमें एसी की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जिनकी कार्यशीलता की नियमित निगरानी की जाती है। गर्मी के मौसम में यह सुविधा लोको पायलटों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो रही है। 63 इंजनों में वॉटरलेस यूरिनल लगाए गए हैं जिससे स्वच्छता में सुधार हुआ है।

128 इंजनों में विशेष आरामदायक सीटें और 483 इंजनों में टूल बॉक्स लगाए गए हैं, जिससे चालक दल को भारी बैग ढोने से राहत मिलती है। 2089 नए डिजिटल वॉकी-टॉकी सेट भी प्रदान किए गए हैं, जिससे रेलवे परिचालन के दौरान संचार व्यवस्था सशक्त हुई है।

रनिंग रूम और लॉबी को पूरी तरह एयरकंडीशंड किया गया है। लोको पायलटों के विश्राम के लिए दो बिस्तरों वाले विश्राम कक्ष, मेडिटेशन रूम, वॉशिंग मशीन, वाटर प्यूरीफायर और पृथक शाकाहारी-मांसाहारी रसोईघर की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इन सुविधाओं के समग्र सुधार हेतु 150 करोड़ रुपए की परियोजनाएं प्रगति पर हैं।

इंजन या कार्यस्थल तक सुगमता से पहुँचने के लिए 77 सड़क वाहनों (टैक्सी/कार) की व्यवस्था भी की गई है, जिससे यार्ड या साइडिंग तक समयबद्ध और सुविधाजनक पहुँच सुनिश्चित हो रही है।

प्रशिक्षण व्यवस्था को भी तकनीकी रूप से उन्नत किया जा रहा है। उसलापुर स्थित विद्युत लोको प्रशिक्षण केंद्र में पारंपरिक इंजनों के लिए सिमुलेटर पहले से उपलब्ध है, जबकि 3-फेज इंजनों के लिए सिमुलेटर की खरीद प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इसके अलावा, प्रशिक्षण और हॉस्टल सुविधा के उन्नयन हेतु 40 करोड़ रुपए के कार्य जारी हैं।

इन सभी पहलों से यह स्पष्ट होता है कि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे लोको पायलटों की कार्य स्थितियों को मानवीय, वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टिकोण से सशक्त बनाने के प्रति पूरी तरह संकल्पबद्ध है।

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