रायपुर। रायपुर के एक प्रतिष्ठित स्कूल के खेल मैदान में 10 सितंबर को गाज गिरने से एक मासूम बच्चे की मौत ने स्कूल प्रशासन और शासन की लापरवाही को सामने ला दिया है। इस हादसे ने कई सवाल खड़े किए हैं कि क्या उचित सुरक्षा उपायों से बच्चे की जान बचाई जा सकती थी?
जलवायु परिवर्तन के कारण देश में बिजली गिरने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। 2019-20 से 2022-23 के बीच इनमें 53% की वृद्धि हुई है, और छत्तीसगढ़ जैसे मैदानी इलाकों में यह खतरा और भी गंभीर है। पर्यावरण कार्यकर्ता नितिन सिंघवी ने कहा कि 2022 में देश में गाज गिरने से 907 लोगों की मौत हुई। 2025 में केवल तीन दिन (10-12 अप्रैल) में 126 मौतें दर्ज की गईं, जिनमें 6 छत्तीसगढ़ में हुईं।
सिंघवी ने कहा कि स्कूलों में तड़ित चालक (लाइटनिंग अरेस्टर) और दामिनी ऐप जैसे संसाधनों का उपयोग न होने से यह घटना हुई। स्कूल प्रशासन को बच्चों को काले बादल या बिजली चमकने पर तुरंत सुरक्षित स्थान पर ले जाना चाहिए। हर स्कूल में तड़ित चालक अनिवार्य रूप से लगाए जाएं।
ग्रामीण क्षेत्रों में दामिनी ऐप की जानकारी और पहुंच सीमित है। सिंघवी ने सुझाव दिया कि गांवों में सायरन जैसे अर्ली वार्निंग सिस्टम लागू किए जाएं और पंचायत भवनों, स्कूलों, आंगनबाड़ी केंद्रों में तड़ित चालक लगाए जाएं। ग्रामीणों को यह समझाना होगा कि गाज गिरने के समय पेड़ों, खेतों या नदियों के पास खड़े होने से बचें।
शहरी क्षेत्रों में भी अब गाज गिरने की घटनाएं बढ़ रही हैं। उच्च भवनों, स्कूलों और कार्यालयों में तड़ित चालक लगाने, बिजली उपकरण बंद करने और खुले मैदानों से बचने की सलाह दी गई है। सिंघवी ने कहा कि सरकार को एक प्रादेशिक ऐप और एआई आधारित सामूहिक अलर्ट सिस्टम विकसित करना चाहिए ताकि समय पर चेतावनी दी जा सके।
सिंघवी ने चेतावनी दी कि जलवायु परिवर्तन अब संकट बन चुका है, और चरम मौसमी घटनाओं जैसे गाज गिरने, हीट वेव और बाढ़ से निपटने के लिए तत्काल तैयारी की जरूरत है।