बिलासपु। पश्चिम बंगाल की एक महिला को 15 साल बाद उसके परिवार वालों के सुपुर्द करने के बाद अब छत्तीगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने अब ऐसे 30 लोगों को उनके घर पहुंचाने का बीड़ा उठाया है जो स्वस्थ होने के बाद भी मानसिक चिकित्सालय के आश्रय स्थल पर बेचैनी के दिन समय काट रहे हैं।

जरूरतमंदों को न्याय प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (सालसा) अपनी योजना ‘उम्मीद’ पर लगातार काम कर रहा है जो अपने घर परिवार से बिछुड़े हैं और वापस लौटना चाहते हैं।

चीफ जस्टिस पी.आर. रामचंद्र मेनन और प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा के निर्देश पर एक बार फिर ‘उम्मीद’ अभियान में तेजी लाई गई है। बिलासपुर के राज्य मानसिक चिकित्सालय में भर्ती दक्षिण 24 परगना, पश्चिम बंगाल की पार्बती को स्वस्थ हो जाने के बाद उसके घर भेजा गया। वह 15 साल बाद अपने परिवार से मिल पाई। अब मानसिक चिकित्सालय से 30 और ऐसे लोगों की सूची मिली है जो परिवार से भटकने या फिर इलाज के छोड़े जाने के बाद स्वस्थ होने के बाद भी अपने परिवार के पास नहीं लौट पा रहे हैं। छत्तीसगढ़ सालसा (राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण) के सदस्य सचिव सिद्धार्थ अग्रवाल ने बताया कि ऐसे 30 लोगों की सूची उनके पास आ चुकी है। इनमें 15 पुरुष तथा 15 महिलाये हैं। कुछ युवा हैं तो कुछ की आयु 60 वर्ष तक है। ये स्वस्थ हो चुके मरीज तेलंगाना, उत्तर-प्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, तमिलनाडु, गुजरात, असम, ओडिशा, नई दिल्ली और राजस्थान राज्यों के हैं। इन राज्यों के विधिक सेवा प्राधिकरणों से सम्पर्क कर इन सभी के पते की पुष्टि की जा रही है। राज्यों से कहा गया है कि वे उनके परिवार वालों से सम्पर्क कर बतायें कि इन स्वस्थ मनोरोगियों को किस तारीख को घर भेजा जाना उचित होगा। यदि परिवार के सदस्य कोविड-19 महामारी की वजह से इन्हें लेने के लिये आने में असमर्थ हों तो प्राधिकरण द्वारा इन्हें भेजने की व्यवस्था भी की जा सकती है। इसके लिये विधिक अधिकारियों ने प्रशासन व रेलवे के अधिकारियों से सम्पर्क भी शुरू कर दिया है।

 

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