रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए रिटायर्ड IAS अधिकारी और पूर्व आबकारी आयुक्त निरंजन दास को आज गिरफ्तार कर लिया। कांग्रेस सरकार के दौरान आबकारी आयुक्त रहे दास पर इस घोटाले को संचालित करने में अहम भूमिका निभाने का आरोप है।  

अफसरों, कारोबारियों ने बनाया था सिंडिकेट

छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला 2019 से 2022 के बीच का मामला है, जिसमें सरकारी शराब दुकानों और अवैध शराब की बिक्री से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए हैं। EOW की जांच में पता चला है कि निरंजन दास ने पूर्व IAS अनिल टुटेजा, तत्कालीन विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी, कारोबारी अनवर ढेबर और अन्य लोगों के साथ मिलकर एक संगठित सिंडिकेट बनाया था। इस गिरोह ने सरकारी शराब दुकानों में कमीशन तय करने, डिस्टलरियों से अतिरिक्त शराब बनवाने, विदेशी ब्रांड की अवैध सप्लाई और डुप्लीकेट होलोग्राम के जरिए शराब बेचने जैसे गैरकानूनी काम किए। इन गतिविधियों से राज्य को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

टेंडर दिलाने के लिए शर्तें बदली

EOW की चार्जशीट के अनुसार, नोएडा की प्रिज्म होलोग्राफिक सिक्योरिटी फिल्म्स को टेंडर दिलाने में निरंजन दास की मुख्य भूमिका थी। यह कंपनी अयोग्य थी, फिर भी टेंडर की शर्तें बदलकर इसे काम दिया गया। इसके बाद डुप्लीकेट होलोग्राम बनाकर अवैध शराब की बिक्री को वैध दिखाया गया। प्रति होलोग्राम आठ पैसे का कमीशन तय हुआ, जिससे राज्य को करीब 1200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

जांच में यह भी सामने आया कि इस सिंडिकेट ने पड़ोसी राज्य झारखंड की आबकारी नीति को प्रभावित करने की साजिश रची। जनवरी 2022 में अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी के साथ निरंजन दास ने झारखंड के अधिकारियों से मुलाकात की और वहां छत्तीसगढ़ मॉडल लागू करवाया।

चार्ज शीट में 70 से अधिक नाम

इस मामले में EOW ने पहले भी कई लोगों को गिरफ्तार किया है। अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर सहित कई अन्य लोग जांच के दायरे में हैं। चार्जशीट में 70 से अधिक लोगों के नाम शामिल हैं, और अब तक 50 से ज्यादा गिरफ्तारियाँ हो चुकी हैं। निरंजन दास की गिरफ्तारी इस मामले में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है, क्योंकि वे इस घोटाले के प्रमुख संचालकों में से एक थे।

रिटायर होने के बाद संविदा पर लिया गया

निरंजन दास कांग्रेस सरकार के दौरान आबकारी आयुक्त थे और रिटायरमेंट के बाद फरवरी 2023 में उन्हें संविदा पर फिर से आबकारी आयुक्त नियुक्त किया गया था। उनकी अग्रिम जमानत याचिकाएं कई बार खारिज हो चुकी हैं। EOW अब उन्हें रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी, ताकि घोटाले की और परतें खुल सकें।

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