बिलासपुर। कोटा और रतनपुर क्षेत्र में डायरिया और मलेरिया का प्रकोप तेजी से फैल रहा है। स्वास्थ्य विभाग इस संकट से निपटने में कठिनाइयों का सामना कर रहा है। इन क्षेत्रों में हालात बिगड़ते जा रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी दबाव पड़ा है।

रतनपुर में डायरिया का प्रकोप: रतनपुर के खूंटाघाट क्षेत्र के कंदई पारा में डायरिया का प्रकोप तेजी से फैल रहा है। शुक्रवार को अचानक 22 मरीजों को उल्टी-दस्त की शिकायत के बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में व्यवस्था चरमरा गई, एक बेड पर तीन मरीजों का इलाज किया गया और कुछ मरीजों को बाहर बेंच पर लिटाना पड़ा।

7 जुलाई से अब तक रतनपुर में 367 मरीजों का इलाज किया गया है। शुक्रवार को 33 से अधिक नए मरीज सामने आए, जिनमें अकेले कंदई पारा से 22 मरीज शामिल थे। पिछले तीन दिनों में इस मोहल्ले से 50 से अधिक मरीज डायरिया के चपेट में आ चुके हैं। स्वास्थ्य केंद्र में बेड की भारी कमी हो गई है, 30 बेड पर 42 मरीज भर्ती किए गए हैं। मरीजों को महज ड्रीप ही लगाई जा रही है।

स्वास्थ्य विभाग ने 12 दिनों के भीतर 8,900 घरों का सर्वे किया, जिसमें 367 मरीज मिले। शुक्रवार तक 33 नए मरीज सामने आए और 20 मरीजों को छुट्टी दी गई। निजी अस्पतालों में भी इलाज जारी है, जहां कई मरीज भर्ती हो रहे हैं। मस्तूरी और बिल्हा में डायरिया का प्रकोप कम हो गया है और शुक्रवार को एक भी नया मरीज सामने नहीं आया है।

कोटा में मलेरिया का प्रकोप: कोटा क्षेत्र में मलेरिया का प्रकोप गंभीर रूप ले चुका है। तीन दिनों के भीतर 4 बच्चों की मौत हो चुकी है, जिनमें से दो सगे भाईयों की मौत शुक्रवार को हुई। खबर मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग का पूरा अमला कारीमाटी सिलपहरी पहुंचा और प्रभावित घरों और मोहल्लों में मलेरिया के मरीजों की जांच की गई। आरडी किट से जांच में मृतकों की मां भी मलेरिया से संक्रमित पाई गई है।

स्वास्थ्य विभाग की टीम ने प्रभावित क्षेत्र में पानी के सैंपल भी कलेक्ट किए हैं। डॉक्टरों ने हैजा की आशंका जताई है, लेकिन पूरी जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। फिलहाल स्वास्थ्य विभाग बचाव और उपचार के लिए मुस्तैदी का दावा कर रहा है।

स्वास्थ्य सेवाओं की कमी: कोटा क्षेत्र में मलेरिया के मरीजों की संख्या में अचानक वृद्धि से स्वास्थ्य विभाग हड़कंप में है। सीएमएचओ डॉ. प्रमोद श्रीवास्तव ने बताया कि मलेरिया के मामले साइक्लिक रूप में आ रहे हैं। ओपीडी में जाने वाले मरीजों की ट्रैवल हिस्ट्री भी ली जा रही है और आरडी किट के साथ स्लाइड टेस्ट भी किया जा रहा है, जिससे मलेरिया के संभावित लक्षणों की जांच हो सकेगी।

स्वास्थ्य विभाग की टीम प्रभावित क्षेत्रों में सर्वे कर रही है और लोगों को जागरूक कर रही है। बावजूद इसके, कई लोग झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज करा रहे हैं और झाड़फूंक का सहारा ले रहे हैं। अगर समय पर उचित स्वास्थ्य सुविधाएं मिलतीं, तो बच्चों की जान बचाई जा सकती थी।

स्वास्थ्य विभाग का प्रयास: स्वास्थ्य विभाग ने डायरिया और मलेरिया से निपटने के लिए अतिरिक्त बेड और मेडिकल स्टाफ की व्यवस्था की है। डॉ. प्रमोद तिवारी ने बताया कि स्थिति नियंत्रण में है और डॉक्टरों की टीम लगातार काम कर रही है। स्वास्थ्य विभाग ने शनिवार से 10 अतिरिक्त बेड लगाने का निर्णय लिया है, ताकि मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके।

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