कोरबा। एसईसीएल (SECL) की गेवरा खदान में दुर्घटनाओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले 24 घंटे में दो बड़ी घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें एक ठेका कर्मी की जान चली गई और 8 घायल हो गए। दुर्घटनाओं के पीछे खदान की भौगोलिक स्थिति और सुरक्षा मानकों की अनदेखी को मुख्य कारण बताया जा रहा है।

पहली घटना: डंपर 80 फीट गहराई में गिरा

पहली घटना बुधवार-गुरुवार की दरम्यानी रात करीब 3:15 बजे हुई, जब 240 टन माल लादे हुए एक डंपर का संतुलन बिगड़ गया। चालक पुष्पराज गाड़ी को खदान से ऊपर चढ़ाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन पार्थ फेस के पास गाड़ी नियंत्रण खो बैठी और पीछे की ओर लुढ़कते हुए 80 फीट गहराई में जा गिरी। इस दुर्घटना में पुष्पराज को गंभीर चोटें आईं, जिसे तुरंत एनसीएच अस्पताल में भर्ती कराया गया। गाड़ी के गिरने का कारण खदान की संकरी सड़क बताई जा रही है, जहां सड़क की चौड़ाई सामान्य से काफी कम थी, जिससे दुर्घटना का खतरा और बढ़ गया।

दूसरी घटना: बारूद से भरी गाड़ी पलटी, एक की मौत

दूसरी घटना गुरुवार शाम को हुई, जब खदान में ब्लास्टिंग के बाद बारूद से भरी गाड़ी वापस लौट रही थी। अचानक गाड़ी का संतुलन बिगड़ा और वह पलट गई। गाड़ी में कुल आठ लोग सवार थे, जिनमें से एक ठेका कर्मी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि सात अन्य घायल हो गए। घायलों को इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया है। इस घटना ने खदान क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया, क्योंकि बारूद से भरी गाड़ी पलटने से बड़े हादसे का खतरा था।

तीसरी घटना: ड्रिल मशीन में लगी आग

इन दोनों घटनाओं से पहले, तीन दिन पहले खदान में खोदाई के दौरान ड्रिल मशीन में आग लग गई थी, जिससे करोड़ों रुपये की मशीन जलकर राख हो गई थी। इन लगातार हो रही घटनाओं ने खदान की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

सुरक्षा मानकों की अनदेखी बनी दुर्घटनाओं का कारण

खदान में लगातार हो रही इन घटनाओं का मुख्य कारण सुरक्षा मानकों की अनदेखी और खदान की संकरी सड़कें बताई जा रही हैं। सामान्य रूप से खदान की सड़कों की चौड़ाई 100 फीट होनी चाहिए, लेकिन जिस जगह पर ये हादसे हुए, वहां सड़क की चौड़ाई केवल 30 फीट थी। इसके चलते गाड़ियां एक-दूसरे को पार करने के दौरान अधिक जोखिम में रहती हैं।

खान सुरक्षा निदेशालय की टीम पहुंचेगी

एसईसीएल की इन घटनाओं की जांच के लिए खान सुरक्षा निदेशालय की टीम जल्द ही कोरबा पहुंचेगी। टीम इन दोनों हादसों की विस्तृत जांच करेगी और यह जानने की कोशिश करेगी कि आखिरकार खदान में ऐसी दुर्घटनाएं बार-बार क्यों हो रही हैं। घायलों के बयान दर्ज किए जाएंगे और घटना स्थल का निरीक्षण किया जाएगा ताकि दुर्घटनाओं के असल कारणों का पता लगाया जा सके।

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