बिलासपुर। एसईसीएल ने वित्त वर्ष 23-24 में 100 मिलियन टन कोयला डिस्पैच हासिल कर लिया है। स्थापना के बाद से कंपनी द्वारा हासिल किया गया यह सबसे तेज़ 100 मिलियन टन कोयला डिस्पैच है। पिछले साल कंपनी ने इसी अवधि में करीब 85 मिलियन टन कोयला डिस्पैच किया था और इस वित्तीय वर्ष में कंपनी ने इसमें 17.65% की वृद्धि दर्ज की है।
कुल कोयला प्रेषण में से 81 मिलियन टन यानि 80% से अधिक कोयला पॉवर सेक्टर को भेजा गया है। आगामी त्योहारी सीज़न में बिजली की मांग में होने वाली बढ़ोत्तरी को ध्यान में रखते हुए कंपनी की यह उपलब्धि काफी अहमियत रखती है और इससे बिजली संयंत्रों में बिजली उत्पादन के लिए कोयले की आपूर्ति मजबूत करने में मदद मिलेगी।
एसईसीएस के सीएमडी डॉ. प्रेम सागर मिश्रा के नेतृत्व में कुल 100 मिलियन टन कोयला डिस्पैच में कोरबा जिले में अवस्थित कंपनी की मेगा परियोजनाओं गेवरा, दीपका, एवं कुसमुंडा ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। एसईसीएल की गेवरा खदान, जो वर्तमान में देश की सबसे बड़ी कोयला खदान है। इसने 30.3 मिलियन टन कोयले का योगदान दिया है। दीपका और कुसमुंडा ने क्रमशः 19.1 मिलियन टन और 25.1 मिलियन टन कोयले का योगदान दिया है। कुल डिस्पैच में तीनों मेगा प्रोजेक्ट की हिस्सेदारी 74 फीसदी से ज्यादा रही है।
इसके अलावा एसईसीएल के कोरिया रीवा कोलफील्ड, जहां ज्यादातर पुरानी एवं भूमिगत खदानें स्थित हैं, का भी उल्लेखनीय योगदान रहा। समान अवधि में गतवर्ष की तुलना में कोरिया रीवा कोलफील्ड द्वारा कोल प्रेषण में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्दि दर्ज की गई है। पिछले वर्ष कोरिया रीवा कोलफील्ड द्वारा 9.75 मिलियन टन कोयला डिस्पैच किया गया था जो इस वर्ष यह बढ़कर 11.75 मिलियन टन हो गया है।
ज्ञात हो कि एसईसीएल कोल इंडिया की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक सहायक कंपनियों में से एक है। कंपनी ने वित्त वर्ष 22-23 में अपने इतिहास का सर्वाधिक, 167 मिलियन टन कोयले का उत्पादन किया था को कोल इंडिया के कुल कोयला उत्पादन का लगभग एक-चौथाई था। इस साल कंपनी का 197 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य है।
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