बिलासपुर। एक 5 साल की बच्ची के यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी पाए गए व्यक्ति की सजा को हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है। आरोपी को 20 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी, जिसे हाईकोर्ट ने भी सही ठहराया। इस मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने पीड़िता के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कहा कि बलात्कार सिर्फ शारीरिक हमला नहीं है, बल्कि यह पीड़िता के पूरे व्यक्तित्व को नष्ट कर देता है।

मिठाई देने के नाम पर घर बुलाया

यह मामला 2 नवंबर 2018 का है, जब रायपुर में 5 साल की बच्ची चॉकलेट खरीदने एक स्थानीय दुकान पर गई थी। दुकान के मालिक ने उसे मिठाई देने के बहाने अपने घर में बुलाया और उसका यौन उत्पीड़न किया। बच्ची के देर से घर लौटने और उसके परेशान होने पर मां ने उससे पूछताछ की, तब बच्ची ने घटना की जानकारी दी। इसके बाद मां ने तुरंत टिकरापारा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।

पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दुकान मालिक को गिरफ्तार कर लिया और मामले की जांच शुरू की। जांच के दौरान चिकित्सा परीक्षण, फोरेंसिक विश्लेषण और सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज पीड़िता के बयान को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया गया।

ट्रायल कोर्ट ने दी कुल 30 साल कैद की सजा

मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376एबी (12 साल से कम उम्र की नाबालिग के साथ बलात्कार) और 376(2)(एन) (बलात्कार के बार-बार होने वाले कृत्य) के तहत मुकदमा चलाया गया। ट्रायल कोर्ट ने पीड़िता की गवाही, मेडिकल रिपोर्ट और फोरेंसिक निष्कर्षों के आधार पर आरोपी को दोषी ठहराया था।

दोषी ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर सजा को चुनौती दी, लेकिन हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा। अदालत ने आरोपी को धारा 376एबी के तहत 20 साल के कठोर कारावास और धारा 376(2)(एन) के तहत अतिरिक्त 10 साल की सजा की पुष्टि की, जिसे एक साथ पूरा किया जाना है।

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